यूपीकोका विधेयक विधानसभा में पेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया सदन में रखा विधेयक

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यूपीकोका

यूपीकोका विधेयक अचानक सदन में पेश

लखनऊ।LNN। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) विधेयक बुधवार को सदन विधानसभा में पेश किया।

आदित्यनाथ ने यूपीकोका विधेयक अचानक सदन में पेश कर दिया।

हालांकि सदन की कार्यसूची में पहले यह शामिल नहीं था।

लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से पेश किए गए इस विधेयक से विपक्ष भी चकरा गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार यूपीकोका के प्रस्ताव को सदन में पेश कर रही है।

इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद संगठित अपराध को रोकने में मदद मिलेगी।

नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि “यूपीकोका दरसअल उप्र में राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए लाया जा रहा है।

यह एक काला कानून है। सरकार ने अघोषित आपातकाल तो पहले ही लगा दिया था, अब इस विधेयक के आने से लिखित आपातकाल भी लग जाएगा।

“नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस काले कानून से सरकार एक तरफ जहां राजनीतिक विरोधियों को परेशान करेगी, वहीं दूसरी ओर मीडिया की आजादी पर भी प्रतिबंध लगाने का काम करेगी।

मीडिया को इससे सतर्क रहने की जरूरत है।

यूपीकोका के विरोध में पार्टी सड़क पर उतरकर विरोध करेगी।

रामगोबिंद के बाद मऊ सदर सीट से विधायक मुख्तार अंसारी भी मीडिया के सामने आए।

उन्होंने भी यूपीकोका को काला कानून करार दिया।

हालांकि सत्र की शुरुआत से पहले ही बहुजन समाज पार्टी ने इस विधेयक का विरोध किया था।.

बसपा ने कहा था कि यह विधेयक महाराष्ट्र के मकोका कानून की तर्ज पर बनाया गया है।

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बसपा के अनुसार, दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और इसीलिए वह इसका विरोध कर रही है।

उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होने वाले अभियोग मंडलायुक्त तथा परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक की दो सदस्यीय समिति के अनुमोदन के बाद ही पंजीकृत होंगे।

अब तक पुलिस पहले अपराधी को पकड़कर अदालत में पेश करती थी, फिर सबूत जुटाती थी।

लेकिन यूपीकोका के तहत पुलिस पहले अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाएगी और फिर उसी के आधार पर उनकी गिरफ्तारी होगी।

यानी अब अपराधी को अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।

इसके अलावा सरकार के खिलाफ होने वाले हिंसक प्रदर्शनों को भी इसमें शामिल किया गया है।

इस विधेयक में गवाहों की सुरक्षा का खासा ख्याल रखा गया है।

यूपीकोका के तहत आरोपी यह नहीं जान सकेगा कि किसने उसके खिलाफ गवाही दी है।

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