तीन तलाक बिल को प्रवर समिति में भेजे जाने पर गतिरोध जारी
नयी दिल्ली : तीन तलाक को अपराध ठहराने वाला बिल लोकसभा से ध्वनिमत से पास होकर राज्यसभा में तो पहुंच गया.
राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 प्रवर समिति में भेजे जाने पर गतिरोध गुरुवार को जारी रहा.
विपक्ष एवं सत्ता पक्ष के अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.
हंगामे के चलते इस मुद्दे पर उच्च सदन की बैठक को निर्धारित समय से पहले स्थगित करना पड़ा.
राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 को फौजदारी अपराध घोषित करने के प्रावधानवाले विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग पर विपक्ष अड़ा रहा.
विपक्ष विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग पर अड़ा रहा.
कांग्रेस के आनंद शर्मा तथा तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय द्वारा संशोधन प्रस्तावों पर अरुण जेटली ने आपत्ति दर्ज की.
विपक्ष द्वारा पेश दो संशोधन प्रस्तावों पर जेटली ने सदन संचालन संबंधी नियमों के हवाला दिया.
जेटली ने कहा कि किसी भी संशोधन प्रस्ताव को पेश करने से एक दिन पहले इसका नोटिस देना अनिवार्य है.
उपसभापति पीजे कुरियन ने व्यवस्था देते हुए कहा कि दोनों प्रस्ताव सभापति की पूर्व मंजूरी के बाद पेश किये गये हैं.
इसलिए ये सदन की संपत्ति हैं और सदन ही इस पर कोई फैसला कर सकता है.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक के विरोध में नहीं है.
बल्कि इसमें मुस्लिम महिलाओं के हितों की अनदेखी किये जाने के खिलाफ है.
विपक्ष विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन अड़ा
अगर विधेयक में तीन तलाक से पीड़ित महिला के पति की सजा के दौरान उसके और उसके बच्चों के भरण पोषण के इंतजाम से जुड़े.
प्रावधान शामिल किये जायें या सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करे, तो उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन करने के लिए तैयार हैं.
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कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक को कांग्रेस प्रवर समिति में भेजना चाहते हैं.
सारे विपक्षी दल प्रवर समिति में भेजना चाहते हैं ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके.
सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए मामले में संसद से भाग रही है.
तीन तलाक संबंधित विधेयक पर विपक्षी दल ही नहीं तेलुगु देशम पार्टी और बीजद भी सरकार के साथ नहीं है.