फिल्म Padmaavat में अलाउद्दीन खिलजी का डायलॉग ‘सारा मसला ख्वाहिशों का है..’ पूरी फिल्म का सार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदर्शन की अनुमति मिलने के बाद संजयलीला भंसाली के निर्देशन में बनीं और दीपिका ,रणवीर और शाहिद के अभिनय से सजीं फिल्म Padmaavat प्रर्दशन को तैयार है.
दीपिका पादुकोण की बेजोड़ सुन्दरता और रानी पद्मावती के किरदार में शानदार अभिनय के लिए याद की जाएगी.
रणवीर सिंह को खिलजी के खूंखार अवतार में दमदार अभिनय के लिए भी दर्शक पसंद करेंगे.
फिल्म Padmaavat की शुरुआत में अलाउद्दीन खिलजी का यह डायलॉग ‘सारा मसला ख्वाहिशों का है..’ पूरी फिल्म का सार है.
पूरी फिल्म खिलजी की सनक, उसके झक्कीपन, उसकी इच्छाओं, उसकी मर्जी, उसकी सेक्शुएलिटी, उसके जुनून को लेकर है.
चित्तौड़ के राजपूत राजा उसे घुटने टेकने पर मजबूर कर देते हैं.
खिलजी धोखे से राज्य हड़पने में कामयाब तो हो जाता है.
लेकिन रानी को पाने की चाहत अधूरी रह जाती है.
अपनी सूझबूझ, कूटनीति के जरिए किस प्रकार रानी पद्मावती सनकी खिलजी की उस चाहत को अधूरा रख देती हैं,
यही संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म ‘ पद्मावत’ में दिखाया है.
आंखों को चकाचौंध कर देने वाली भंसाली की इस पीरियड फिल्म में एक से एक शानदार परफॉर्मेंसेज हैं.
सिनेमा हॉल से बाहर आकर दिमाग पर दस्तक देंगी, एक तो खिलजी के रूप में रणवीर सिंह का दमदार अंदाज
अौर दूसरा यह कि आखिर इस फिल्म पर इतना विवाद हो क्यों रहा है.
जबकि फिल्म में तो वैसा कुछ भी नहीं है.
फिल्म की कहानी मलिक मोहम्मद जायसी की 1540 में लिखी Padmaavat पर आधारित है,
जो राजपूत महारानी रानी. पद्मावती के शौर्य और वीरता की गाथा कहती है.
पद्मावती मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी हैं.
बेहद खूबसूरत होने के अलावा बुद्धिमान, साहसी और बहुत अच्छी धनुर्धर भी हैं.
1303 में अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती की इन्हीं खूबियों के चलते उनसे इस कदर प्रभावित होता है कि चित्तौड़ के किले पर हमला बोल देता है.
महाराज रावल रतन सिंह और अलाउद्दीन खिलजी के बीच तलवारबाजी के सीन में रतन सिंह अपने उसूलों,
आदर्शों और युद्ध के नियमों का पालन करते हुए खिलजी को निहत्था कर देते हैं.
लेकिन पद्मावती को पाने की चाहत में खिलजी धोखे से रतन सिंह को यह कहकर मार डालता है कि जंग का एक ही उसूल होता है, जीत.
अपनी आन-बान-शान की खातिर इसके बाद पद्मावती किस तरह जौहर कर खिलजी की ख्वाहिशों को ध्वस्त कर देती हैं यही फिल्म की कहानी है.
चित्तौड़ के मशहूर सूरमा गोरा और बादल की शहादत को भी फिल्म में पूरे सम्मान के साथ दर्शाया गया है.
फिल्म के हर सीन में सिर से पांव तक ढकीं दीपिका ने अपने चेहरे के हाव भाव और आंखों के जरिए जो दमदार अभिनय किया है.
खूबसूरत लहंगों, भारी गहनों और खासतौर पर नाक की नथ में दीपिका खूब जमी हैं
शाहिद कपूर ने महाराजा रावल रतन सिंह के किरदार के साथ न्याय किया है.
वह शुरू से अंत तक शालीन नजर आए लेकिन एक किरदार जो पूरी फिल्म को अपने कब्जे में करता है वह हैं अलाउद्दीन खिलजी यानी रणवीर सिंह.
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शुरू से अंत तक एक सनकी, विलासी, व्यभिचारी और कुंठित मानसिकता जैसे लक्षणों को जीवंत करने में रणवीर ने जान लड़ा दी है.
उनके कई डायलॉग्स सिनेमा हॉल से बाहर निकलते हुए याद रह जाएंगे.
गुलाम मलिक काफूर के रोल में जिम सरभ के रूप में अच्छा अभिनय किया है.
जलालुद्दीन खिलजी के रोल में रजा मुराद ने बेहद दमदार रोल किया है.
अदिति राव हैदरी भी खिलजी की बीवी के रोल में बेहद सशक्त लगी हैं.
घूमर गाना तो पहले ही काफी हिट हो चुका है, इसके अलावा भी तुर्क-अफगानी संगीत का अच्छा संगम इस फिल्म में है.
इसका विरोध करने वाले लोग अपनी विचारधारा बदलकर इस फिल्म पर गर्व का अहसास करने लगें.
मोहम्मद जायसी ने पद्मावत को कविता की शैली में लिखते हुए महारानी पद्मावती के जौहर और राजपूतों के गौरवशाली इतिहास को बताया था.
तो संजय लीला भंसाली ने इस महाकाव्य को बड़े परदे पर उतनी ही भव्यता के साथ फिल्मांकन किया है.
फिल्म की शुरुआत में फिल्म निर्माता ने इसे एक काल्पनिक कहानी के डिस्कलेमर के साथ रिलीज किया है.
फिल्म में घूमर गीत को दिखाया गया है और महाराज रतन सिंह के अलावा उस समय कोई और पुरुष वहां नहीं होता है.