मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरा देश का किसान

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Modi govt के खिलाफ किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर एक अजेंडा तैयार किया जा सकता है

नई दिल्ली:LNN:|विपक्षी दल Modi govt की उस बात का काट भी ढूंढ रहे हैं जिसमें महागठबंधन को केवल मोदी विरोधी बताया जा रहा है.

किसानों की परेशानी के रूप में विपक्षी दलों को एक ऐसा मुद्दा मिल गया है जिससे वे साझा अजेंडा तय कर सकते हैं.

दरअसल 2019 आम चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिश में लगे नेताओं का मानना था कि अगर बिना अजेंडा के वे एकजुट होते हैं तो इसका काउंटर नुकसान हो सकता है.

सिर्फ मोदी हटाओ रणनीति इससे सामने आती है. आशंका जताई गई कि इसका लाभ पीएम मोदी को मिल सकता है

किसानों की कर्जमाफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिए जाने समेत कई मांगों को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान रामलीला मैदान पहुंच गए हैं.

पीएम मोदी अपनी रैलियों में कहते हैं, ‘मैं कहता हूं करप्शन हटाओ, वे कहते हैं मोदी हटाओ.’

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दो दिवसीय किसान मुक्ति मार्च का आज यानी शुक्रवार को दूसरा और आखिरी दिन है और किसान आज अपनी मांगों को लेकर संसद मार्च करेंगे.

किसान इस बार सिर्फ दो मांगों को लेकर यह आंदोलन कर रहे हैं.

उनकी पहली मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और दूसरी अपनी दूसरी मांग में फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा चाहते हैं.

किसानों को कर्ज से पूरी तरह मुक्ति और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर दो दिवसीय आंदोलन को किसानों के साथ डाक्टर, वकील, पूर्व सैनिक और छात्रों सहित तमाम वर्गों के लोगों के समूह रामलीला मैदान में एकत्र हो गये.

देश के विभिन्न भागों से दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर एकत्र होकर आंदोलनकारियों का रामलीला मैदान तक पैदल और वाहनों से पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले लगभग 200 किसान संगठनों, राजनीतिक दलों और अन्य समाजिक संगठनों से किसानों की मांग का समर्थन करते हुये आंदोलन में भागीदारी की है.

समिति के महासचिव अवीक शाहा और स्वराज इंडिया के संयोजक योगेन्द्र यादव की अगुवाई में दक्षिण पश्चिमी दिल्ली के बिजवासन से सुबह शुरु हुयी किसान मुक्ति यात्रा लगभग 25 किमी की पदयात्रा कर देर शाम रामलीला मैदान पहुंची.
इस बीच पूर्व सैनिकों के संगठन ने भी किसानों की मांग का समर्थन करते हुये किसान मुक्ति यात्रा में शिरकत की.

संगठन के प्रमुख मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक किसान आंदोलन में दो दिन तक साथ रहेंगे.

साईनाथ की अगुवाई में गठित समूह ‘नेशन फॉर फार्मर्स’ के बैनर तले विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में शिरकत की है.

सभी संगठनों के कार्यकर्ता बिजवासन, मजनू का टीला, निजामुद्दीन और आनंद विहार से किसान आंदोलनकारियों के साथ रामलीला मैदान पहुंचे.

लगभग 60 हजार लोगों की क्षमता वाले रामलीला मैदान में एम्स, आरएमएल, लोकनायक, हिंदूराव, अरुणा आसिफ अली अस्पताल सहित दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के करीब 25 से 30 डॉक्टरों ने रामलीला मैदान पर किसानों के लिए एक निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया.

साथ ही शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक किसान मार्च मार्ग में भी सुरक्षा और यातायात के विशेष प्रबंध किए गए हैं.

पुलिस ने कहा कि किसानों के मार्च के दौरान सड़कों के दोनों तरफ रस्सी होगी और दूसरी तरफ पुलिस तैनात होगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि यातायात प्रभावित नहीं हो.

किसानों के प्रति पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी सरकार किसानों के समर्थन के बिना नहीं टिक सकती है.

हजारों की संख्या में किसान देश के कोने-कोन से चलकर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे हैं ताकि सरकार के सामने अपने हक की मांग रख सकें.

किसानों को संबोधित करते हुए गौड़ा ने कहा कि वह उनके दुख और दिक्कतों को समझते हैं क्योंकि वह खुद किसान के बेटे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देने आया हूं कि संघर्ष की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं. मैं आपके दुख और तकलीफों को समझता हूं.’

बाद में रामलीला मैदान में संवादाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने केन्द्र सरकार से किसानों की मांग सुनने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘कोई सरकार किसानों के (समर्थन) बिना नहीं चल सकती है. Modi govt को उनकी मांगें सुननी चाहिए.

देश के किसान जाग चुके हैं और उन्हें बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.’

देश के विभिन्न इलाकों मसलन, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से किसान ट्रेन, ट्रैक्टर्स से इस किसान मुक्ति मार्च में आए हैं.

किसानों की कर्जमाफी और एमएसपी बढ़ाने की मांग विपक्ष का साझा अजेंडा बन सकती.

आम चुनाव से पहले किसानों का आंदोलन Modi govt के लिए चिंता की बात है.

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