prayagraj dharm-sansad में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने की घोषणा
प्रयागराज:LNN: शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में prayagraj dharm-sansad कुंभ क्षेत्र में संपन्न हुई.
तीन दिवसीय धर्म संसद के आखिरी दिन संतों ने राम मंदिर निमार्ण के शिलान्यास पूजन का धर्मादेश जारी किया.
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संतों ने एलान किया है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आगामी 21 फरवरी से शुरू हो जाएगा.
धर्म संसद का आयोजन कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर नौ स्थित गंगा सेवा अभियानम के शिविर में हुआ.
तीन दिन के दौरान धर्म संसद में कई अन्य प्रस्ताव भी पारित किए गए.
साधु-संत 4 शिलाएं लेकर जाएंगे अयोध्या
साधु-संत 10 फ़रवरी को बसंत पंचमी के बाद अयोध्या कूच करना शुरू कर देंगे.
21 फरवरी को मंदिर के शिलान्यास के लिए भूमि पूजन किया जाएगा.
हालांकि ये किस जगह पर होगा, इस बारे में कोई बयान नहीं आया है.
तीन दिन तक चली परम धर्म संसद के आख़िरी दिन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने ये घोषणा की
और बताया कि इसके लिए सभी अखाड़ों के संतों से भी बात हो चुकी है.
धर्म संसद के आयोजक और गंगा सेवक अभियानम के प्रमुख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया
कि उन्हें सरकार से राम मंदिर निर्माण के संबंध में कोई उम्मीद नहीं है.
31 जनवरी से विश्व हिन्दू परिषद आयोजित कर रही धर्म संसद
धर्म संसद में दुनिया भर से आए संतों और सनातन धर्म के प्रतिनिधियों ने तय कर लिया है कि 21 फरवरी को अयोध्या पहुंचना है.
हमें यदि रोकने की कोशिश की जाएगी तो भी हम वहां पहुंचेंगे.”
शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर बनने में समय लगता है लेकिन अगर प्रारम्भ नहीं होगा तो कभी नहीं होगा.
धर्म संसद में संतों ने कहा, “हम कोर्ट और और प्रधानमंत्री का सम्मान करते हैं.
हम चार शिलाये लेकर आयोध्या जाएंगे.” संतों ने यह भी कहा कि शंकराचार्य हमारे नेता है, उन्हीं का नेतृत्व हमें स्वीकार है.
गुरुवार 31 जनवरी से दो दिन की धर्म संसद कुंभ क्षेत्र में ही विश्व हिन्दू परिषद भी आयोजित कर रही है
जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहुंचने की भी उम्मीद जताई जा रही है.
वीएचपी की धर्म संसद में भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर किसी ख़ास घोषणा की उम्मीद की जा रही है.
धर्म संसद के दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गंगा के स्वच्छ न होने पर नाराज़गी जताई.
उनका कहना था, “मां गंगा ने बुलाया है, मैं गंगा को निर्मल करूंगा जैसे नारे लगाकर सिर्फ हिंदुओं की सहानुभूति ली गई है.
गंगा की दशा अभी भी दयनीय है. गंगा न तो निर्मल हुई हैं और न ही अविरल.”