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LG बनाम दिल्ली सरकार:सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली बेंच गुरुवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगी, इसके बाद दिल्ली सरकार और एलजी के बीच दूर हो सकता है गतिरोध

नई दिल्ली:LNN:LG बनाम दिल्ली सरकार मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली बेंच फैसला सुनाएगी.

दिल्ली सरकार की तरफ से पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया गया था.

तब सुप्रीम कोर्ट ने अगले हफ्ते तक फैसला आने की उम्मीद जताई थी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी लिस्ट के मुताबिक, गुरुवार सुबह साढ़े 10 बजे इस मामले में फैसला आ सकता है.

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जस्टिस एके सीकरी ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Delhi Govt की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को 24 जनवरी को उठाया था.

Delhi Govt की तरफ से सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने मामला उठाया था.

इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर रखा है, ऐसे में दिल्ली सरकार को प्रशासन में दिक्कत हो रही है.

जस्टिस सीकरी ने कहा कि मामले से संबंधित फाइल उनके ब्रदर जज के पास हैं और वह जल्दी फैसले की कोशिश करेंगे.

इसके बाद पिछले हफ्ते 7 फरवरी को मामला उठाया गया था.

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगले हफ्ते फैसले की उम्मीद की जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद एक नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि दिल्ली में LG मंत्री परिषद के सलाह से काम करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने LG के अधिकार को लिमिट कर दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एलजी स्वतंत्र तौर पर काम नहीं करेंगे अगर कोई अपवाद है

तो वह मामले को राष्ट्रपति को रेफर कर सकते हैं और जो फैसला राष्ट्रपति लेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट में Delhi Govt की ओर से मामले को उठाया गया और कहा गया कि सर्विसेज और एंटी करप्शन ब्रांच जैसे मामले में गतिरोध कायम है.

Delhi Govt के वकील ने 10 जुलाई 2018 को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कई मुद्दों पर गतिरोध कायम है.

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने 21 मई 2015 को नोटिफिकेशन जारी किया था.

नोटिफिकेशन के तहत LG के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामले को रखा गया था.

केंद्र सरकार ने 23 जुलाई 2014 को नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार की एग्जिक्यूटिव पावर को सीमित किया था.

हाई कोर्ट में Delhi Govt ने उक्त नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.

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