Zoya akhtar ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि महिलाओं के शारीरिक शोषण के चित्रण बदलने की है जरूरत
एंटरटेनमेंट डेस्क,लोक हस्तक्षेप
Zoya akhtar जीवन से लेकर पर्दे पर हटकर विषय लाने वाली फिल्ममेकर है.
उन्होंने हाल ही में बॉलिवुड फिल्मों में सेक्स व महिलाओं के शारीरिक शोषण के चित्रण को लेकर बात की.
उन्होंने कहा कि हिन्दी सिनेमा में सेक्स के चित्रण में दिक्कतें रही हैं जहां आपसी सहमति से बने
यौन संबंध की बजाए ज्यादातर ध्यान शारीरिक शोषण बलात्कार एवं उत्पीड़न पर दिया जाता है.
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Zoya akhtar ने कहा कि जब छोटी उम्र में लोग इस तरह का कॉन्टेंट देखते हैं तो इसका उन पर असर बाद में दिखाई देता है.
Bollywood films में सेक्स व महिलाओं के शारीरिक शोषण के चित्रण को लेकर की बात
‘गली ब्वॉय‘, ‘दिल धड़कने‘ और ‘लक बाय चांस‘ जैसी फिल्मों से सिनेमा का नया रूप देने वाली
जोया ने फिल्मों में सेक्स और यौन शोषण के सीन को फिल्ममाने को लेकर बड़ी बात बोली.
उन्होंने कहा कि फिल्मों में महिलाओं के साथ यौन संबंध से ज्यादा यौन शोषण को दिखाया जाता रहा है.
उन्होंने ‘विमिन शेपिंग द नैरेटिव इन मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट‘ विषय पर रखे गए एक सत्र के दौरान कहा,
‘मैं जब बड़ी हो रही थी तब यह महसूस किया कि मैंने हिन्दी फिल्मों में बस यौन शोषण देखा है.
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यह बहुत अजीब था क्योंकि हमे फिल्मों में बलात्कार के दृश्य, शोषण एवं उत्पीड़न देखने दिया जाता था,
लेकिन हमें सहमति से बने संबंध से जुड़े सीन्स देखने नहीं दिए जाते थे.’
जोया ने कहा कि इस सब का लोगों के दिमाग पर बहुत असर पड़ता है. ‘इसका हमारी मानसिकता पर असर होना लाजमी है,
क्योंकि उन्होंने पर्दे पर सहज स्पर्श और किसिंग करते नहीं देखा होता.
आप लोगों को प्यार करते हुए और वह अपने साथ कैसा बर्ताव चाहते हैं, यह पर्दे पर नहीं देख पाते.’
जोया ने आगे कहा कि इस तरह के सीन्स समाज में गलत धारणा को जन्म और बढ़ावा देते हैं.
‘आप पर्दे पर दिखा रहे हैं कि महिलाएं तो हमेशा न ही कहेंगी इसलिए आप बस उन पर टूट पड़ें.
जब आप बच्चे होते हैं, आप इस पर ध्यान नहीं देते हैं,
लेकिन बड़े होने पर आपको महसूस होता है कि यह अजीब है और इसे बदलना चाहिए
Zoya akhtar ने कहा कि वह जो व्यक्ति बन पाई हैं.
वह उनके जीवन में मौजूद मजबूत महिलाओं ही नहीं बल्कि पुरुषों की वजह से भी है.