shivpal yadav says परिवार में एकता चाहते हैं और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
इटावा:LNN: शिवपाल यादव ने मंगलवार को कहा ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन चाहते हैं.
शिवपाल ने साफ किया कि वह परिवार में एकता चाहते हैं
और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
शिवपाल यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह एसपी के साथ गठबंधन चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हम अखिलेश यादव को सीएम बनाएंगे. हम एक होने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि एकता हुई तो 2022 में हमारी सरकार बनेगी
shivpal yadav says कि मैं मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता.
यही नहीं मैं बिना शर्त अखिलेश यादव से मिलने को तैयार हूं. मैं परिवार में एकता चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लडे़ं तो वर्ष 2022 में हम सरकार बना लेंगे.
Shivpal yadav says ने कहा कि भतीजे अखिलेश अगर यह समझ लें तो हमें सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता है.
शिवपाल ने कहा कि 22 नवंबर को नेताजी मुलायम सिंह का जन्मदिन है .
इस मौके पर हम सैफई में बड़ा आयोजन करने जा रहे हैं.
शिवपाल यादव ने कहा कि नेता जी मुलायम सिंह के जन्मदिन पर अगर हमारे परिवार में एकता हो जाए तो अच्छा रहेगा.
अयोध्या मामले पर भी शिवपाल यादव ने बड़ा बयान दिया.
शिवपाल ने राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एआईएमआईएम नेता ओवैसी के रवैये की भी आलोचना की.
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उन्होंने कहा कि आयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला आ चुका है
सभी पक्षों को अब इसे मान लेना चाहिए.
शिवपाल ने कहा कि यह समय कटुता को भूलकर देश के विकास के लिए काम करने का है.
शिवपाल यादव अभी एसपी से ही विधायक.
समाजवादी पार्टी’ नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी.
शिवपाल यादव अभी भी एसपी से ही विधायक हैं,लोकसभा चुनाव में शिवपाल खुद भी मैदान में थे
अपनी पार्टी से कई नेताओं को अलग सीटों पर मैदान में उतारा था.
शिवपाल के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने का इंतजार कर रही
एसपी ने उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए याचिका लगाई है.
2017 विधानसभा चुनावों के समय से ही मुलायम सिंह यादव के कुनबे में बिखराव शुरू हो गया था.
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इस टकराव का नतीजा ये हुआ कि शिवपाल को एसपी छोड़नी पड़ी और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली.
इस साल हुए लोकसभा चुनावों में शिवपाल ने भतीजे और भाई के खिलाफ ताल ठोंका था.
हालांकि शिवपाल की पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई.
और तो और, शिवपाल अपनी सीट जसवंतनगर (इटावा) भी नहीं बचा पाए.
एसपी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल को लोकसभा चुनावों में खामियाजा भुगतना ही पड़ा,
साथ ही समाजवादी पार्टी की स्थिति भी खराब हो गई.
बीएसपी के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली एसपी को महज पांच सीटें मिली हैं.
इनमें भी तीन सीट यादव परिवार ने गंवा दी है.
लोकसभा चुनाव 2014 में एक भी सीटें न जीत पाने वाली बीएसपी ने 10 सीटों पर सफलता हासिल की.