Professor Feroz Khan की नियुक्‍ति पर बीएचयू में बवाल

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Professor Feroz Khan

Professor Feroz Khan का परिवार राजस्थान के बगरू में रहता है. फिरोज खान ने अपना बचपन हिंदू परंपराओं के बीच बिताया है.

जयपुर/नई दिल्ली:LNN:Professor Feroz Khan की बनारस हिंदू विश्वविद्यालय  के संस्कृत संकाय में नियुक्ति के बाद से ही छात्रों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके पिता खुद मंदिरों में जाते हैं और भजन गाते हैं.

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वह गोशाला में गायों की सेवा भी करते हैं और इसके लिए उन पर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया.

प्रोफेसर फिरोज खान के पिता रमजान खान मंदिरों में आरती करते हैं और हारमोनियम भी बजाते हैं.

इसके साथ ही वह भजन भी गाते हैं.

राजस्थान की राजधानी जयपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित बगरू के चैतन्यधाम की रामदेव गोशाला का माहौल बीएचयू में हो रहे,

प्रदर्शन के माहौल से काफी अलग और बेहतर है.प्रोफेसर फिरोज खान ने 5वीं कक्षा से संस्कृत पढ़ना शुरू किया था.

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इसके बाद उन्होंने जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान से एमए और पीएचडी की उपाथी हासिल की.

फिरोज खान को 14 अगस्त को मनाए जाने वाले संस्कृत दिवस पर,

राज्य स्तरीय संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान समारोह में भी सम्मानिया किया जा चुका है.

प्रोफेसर फिरोज खान का परिवार राजस्थान के बगरू में रहता है.

फिरोज खान ने अपना बचपन संस्कृत सीखते हुए और हिंदू परंपराओं के बीच बिताया है.

प्रोफेसर खान के पिता ने संस्कृत में शास्त्री योग्यता हासिल की है. साथ ही वह भक्ति गीत गाते हैं.

पास की गोशाला में गायों की सेवा करते हैं. इसी दौरान वह मस्जिद भी जाते हैं और नमाज अदा करते हैं.

रमजान खान के हिन्‍दू धर्म को मानने को लेकर स्थानीय लोगों और अन्य गांववालों को कभी कोई परेशानी नहीं हुई.

Professor Feroz Khan के पिता ने कहा, “जब मुझे पता चला कि मेरे बेटे की नियुक्ति प्रतिष्ठित भारत हिंदू विश्वविद्यालय में हुई है

तो मुझे बेहद खुशी हुई. हालांकि, छात्रों का प्रदर्शन काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.

मैं प्रदर्शनकारी छात्रों से कहना चाहूंगा कि मेरे बेटे को एक मौका दें और जानें कि वह किस तरह के बैकग्राउंड से आता है.”

उन्होंने आगे कहा, “मेरा बेटा संस्कृत सीखना चाहता था, इसलिए मैंने उसका स्कूल में एडमिशन करा दिया.

जिसके बाद उसने संस्कृत में उच्च शिक्षा हासिल की और उसे बीएचयू में नियुक्ति मिली.”

रमजान खान ने कहा, “अगर विश्वविद्यालय के छात्र एक बार शांति से उसे सुनेंगे और उसका पारिवारिक इतिहास जानेंगे तो उन्हें संतुष्टि होगी.”

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