China tv पर सोमवार रात प्रसारित की गई नई सैटेलाइट फोटो मामले में भारत का दावा मजबूत कर रही हैंं.
नई दिल्ली:LNN:China tv लद्दाख मामले में चीन दुष्प्रचार फैलाने में जुटा हुआ है. हालांकि चीन के सरकारी टीवी पर सोमवार रात प्रसारित की गई नई सैटेलाइट फोटो मामले में भारत का दावा मजबूत कर रही हैंं.
china tv की ये फोटो इस बात को स्थापित करती हैं कि चीनी सैनिकों ने जून में दोनों देशों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के पहले
मई माह के प्रारंभ में गालवान घाटी क्षेत्र में भारत की सीमा पर भारतीय सैनिकों की वैध गतिविधियोंं को रोकने की कोशिश की थी.
इसी स्थान पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी.
गौरतलब है कि सोमवार को चीन ने लद्दाख में तीन स्थानों से अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है.
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इस कारण ही मई माह के प्रारंभ में एलएसी पर बड़े पैमाने पर तनाव की स्थिति निर्मित हुई थी.
चीनी स्टेट ब्रॉडकास्टर CCTV-4 पर एक कार्यक्रम में सोमवार रात सैटेलाइट चित्रों को प्रसारित किया गया,
जिसमें कहा गया है कि पश्चिमी हिमालय में समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई,
पर गालवान नदी पर पेट्रोल प्वाइंट 14 पर भारतीय हेलीकॉप्टर पेड और कैंप है.
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “इन फोटो की प्रामाणिकता ( china tv चीनी टेलीविजन पर) को सत्यापित किया जा रहा है.
सैन्य नियमों के आधार पर इस अधिकारी के नाम का जिक्र नहीं किया जा सकता.
15 जून को, चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था जिसके बाद भारतीय सैनिकों के साथ उनकी जमकर धक्का-मुक्की हुई थी,
जो बाद में हिंसक संघर्ष में तब्दील हो गई थी.
इस संघर्ष में भारत ने अपने 20 सैनिकों के जान गंवाने की पुष्टि की थी,
दूसरी ओर चीन ने अपने हताहतों के बारे में जानकारी नहीं थी.
वैसे भारतीय सेना के सूत्रों ने यह संख्या 45 के आसपास बताई थी.
कल रात चीन की ओर से सोमवार रात जो तस्वीरें दिखाई गई हैं उसमें तारीख का जिक्र नहीं है
और यह पेट्रोलिग प्वाइंट-14 पर भारतीय सैनिकों की उपस्थिति, साथ ही एक नवनिर्मित हेलीपैड की ओर इशारा करते हैं.
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ये सभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के भारतीय तरफ हैं.
22 मई के सैटेलाइट इमेज, जिसे रिपोर्ट किया गया था, में ऐसी गतिविधि का जिक्र नहीं था.
वास्तव में, इसमें गालवान नदी पर केवल एक इग्लू के आकार की एक सफेद टेंट का संकेत मिला था,
जिसमें चीनी या भारतीय कोई भी शिविर नहीं था.
यह इस बात को दर्शाता है कि विवादित सीमा के भारत की तरफ के निर्माण
और सैनिकों को चीनियों द्वारा पीछे धकेल दिया गया था.
सैनिकों के बीच घातक झड़पों के एक दिन बाद,
16 जून के चित्रों में मलबे के साथ यहां पर्याप्त संख्या में चीनियों की मौजूदगी दिखी थी.
25 जून को लिए गए सैटेलाइट चित्र दिखाते हैं कि चीन की ओर से निर्माण कार्य नदी की धार को मोड़ रहे हैं.
नदी की धारा मुड़ने का बहुत महत्व है क्योंकि इससे सैनिकों को नदी के किनारे विपरीत दिशा से सैन्य निर्माण को देखने में सहूलियत होती है.
भारत ने हमेशा यह बात ही है कि कि गालवान नदी के किनारे तटबंध स्पष्ट रूप से उसका क्षेत्र है जो कि पेट्रोल प्वाइंट 14 तक है.
पिछले महीने सीमा पर तनाव को लेकर टिप्पणी करते हुए
विदेश मंत्रालय ने गालवान में भारत और चीन के बीच हुई झड़पका जिक्र किया था, यह झड़प मई में हुई थी.
इसके बाद दोनों देशों के बीच 15 जून को हिंसक संघर्ष हुआ था
जिसमें लोहे की रॉड्स और कील लगे डंडों का इस्तेमाल हुआ था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा,
‘मई में चीनी पक्ष ने भारत की सामान्य-पारंपरिक गश्त को गालवान घाटी क्षेत्र में रोकने के लिए कार्रवाई की थी’
यदि चीनी टीवी पर प्रसारित चित्र प्रामाणिक हैं,
तो ये साबित करते हैं कि चीनी सैनिकों ने भारतीय गतिविधियों को ‘हटाने’ का प्रयास किया.
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यही वजह है कि सेना और हेलीपैड बाद के चित्रों से गायब हैं.
सैटेलाइट इमेजों से पहले ही यह स्थापित हो चुका है कि यह चीनी बलों द्वारा तटबंध,
पर अपनी उपस्थिति को बढ़ाने का स्पष्ट तौर पर प्रयास किया गया,
जबकि चीन की 1960 का स्वयं का दावा-यहां से 423 मीटर की दूरी पर है.
चीनी सेना ने भी LAC के किनारे घाटी को चौड़ा कर दिया है और तटबंध के पास पक्की सड़कों का निर्माण किया है.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि वे स्थिति पर सतर्कता से नजर बनाते हुए,
जुलाई के मध्य तक सभी क्षेत्रों से चीनी सैनिकों के पीछे हटने को लेकर आशान्वित हैं,
जिस समय तक सैन्य बलों के उच्च स्तरीय वार्ता के एक और दौर की उम्मीद है.