Mucormycosis (म्यूकरमाइकोसिस) या ब्लैक फंगस एम्स के डायरेक्टर डॉ गुलेरिया ने कहा कि स्टेरॉयड्स का दुरुपयोग फंगल इन्फेक्शन के प्रमुख कारणों में है. डायबिटीज के साथ कोरोना इन्फेक्शन वालों को अगर स्टेरॉयड दिया जा रहा है तो फंगल इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहेगा.
नई दिल्ली:Mukermycosis (म्यूकरमाइकोसिस) फंगल इन्फेक्शन कोरोना के मरीजों में एक नई बीमारी में सामने आते जा रहे हैं. फंगल इंफेक्शन कोरोना मरीजों में ज्यादा पाया जा रहा है.
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) के मुताबिक आने वाले दिनों में ब्लैक फंगस के केस बढ़ सकते हैं.
Mukermycosis (म्यूकरमाइकोसिस) म्यूकरमाइकोसिस कोरोना के ऐसे मरीजों को अपना शिकार बना रहा है, जिन्हें शुगर है.
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के ऐसे मरीजों पर ध्यान देने की जरूरत है जिन्हें शुगर है.
इस बात की जरूरत है कि कोरोना के मरीजों का शुगर लेवल लगातार चेक किया जाए.
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उन्होंने कहा कि गुजरात के सिर्फ सरकारी अस्पताल से ब्लैक फंगस के 500 से ज्यादा केस सामने आए हैं.
गुजरात के हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस केस को देखने के लिए कई स्पेशल वॉर्ड बनाए गए हैं. यहां अलग-अलग डॉक्टरों की टीम है.
जांच में पता चल रहा है कि सारे मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दी गई थी. इसमें से 90-95 फीसदी वो मरीज़ है जिन्हें डायबिटीज हैं.
कोविड खुद मरीजों को लिम्फोपेनिया की ओर ले जाता है.
इसके अलावा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है.
Mucormycosis डॉक्टर गुलेरिया ने आगे बताया कि दिल्ली के AIIMS में भी ब्लैक फंगस के 18-20 मरीजों का इलाज चल रहा है.
उनके मुताबिक पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान इस तरह के केस नहीं दिखे थे.कई लोगों को कोरोना नेगेटिव होने के बाद भी ब्लैक फंगस बॉडी में बनी रहती है.
उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस गुजरात से आ रहे हैं.
ब्लैक फंगस वाले 5-10 फीसदी ऐसे मरीज भी हैं जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराया गया था.