Ram Bharose Decision : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर Supreme court ने रोक लगा दी.
नई दिल्ली: Supreme court ने यूपी में Ram Bharose पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के टिप्पणी वाले फैसले पर रोक लगा दी है.
हालांकि यह भी कहा कि यूपी सरकार इस टिप्पणी को विरोध में न ले बल्कि एक सलाह के तौर पर ले.
Ram Bharose Decision: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मई को उत्तर प्रदेश सरकार को ये आदेश दिए थे
जिसमें उसने युद्ध स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को कहा था.
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट कोविड प्रबंधन मामलों से निपटने के दौरान उन मुद्दों से बचें जिनका अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है.
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क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अखिल भारतीय मुद्दों से निपट रहा है.
तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छी नीयत से दिया गया है,
लेकिन इन्हें लागू करने में मुश्किल है.
मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने कहा कि नर्सिंग होम में सभी बेड्स पर ऑक्सीजन की सुविधा होनी चाहिए.
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कुछ निश्चित परसेंटेज में वेंटिलेटर्स होने चाहिए,
एक निश्चित संख्या वाले नर्सिंग होम में ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि HC ने ये भी कहा कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों का स्तर SGPGI के स्तर की की जाएं,
वो भी 4 महीने के भीतर.
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने कहा कि सभी हाईकोर्ट को अपने आदेश को लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करना चाहिए.
और उन आदेशों को पारित नहीं करना चाहिए जिन्हें लागू करना असंभव है.
हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं राम भरोसे हैं.
ऐसी टिप्पणियों से स्वास्थ्य महकमे में काम करने वालों का मनोबल गिरता है.
जस्टिस विनीत सरन ने कहा कि हम कोर्ट की चिंता को समझते हैं.
लेकिन यह चिंता का विषय है.
न्यायालयों को भी कुछ न्यायिक संयम रखना चाहिए,
न कि ऐसे आदेश पारित करें जिन्हें लागू करना मुश्किल हो जस्टिस गवई ने कहा कि हमारे पास विशेषज्ञता की भी कमी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने अपील की थी.
यूपी सरकार ने कहा कि COVID-19 संबंधित मामलों को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाली पीठ को सुनना चाहिए.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.