COVID Effect के बीच सात सालों में यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख पर आंच आई है.
नई दिल्ली: COVID Effect के बीच लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच रविवार को अहम बैठक हुई.
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहे.
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी मौजूद रहे.
बैठक में कोरोना महामारी के हालात के बीच सरकार और पार्टी की छवि को लेकर चर्चा हुई है.
विपक्ष की आलोचनाएं भी गहरी हुई हैं.
ग्लोबल मीडिया में आलोचनाओं के अलावा भारतीय मीडिया में भी मोदी समर्थकों के विरोधी स्वर सुनाई दे रहे हैं.
एक नेता के नेतृत्व को चुनौती मिले, इससे पहले ही उसकी विश्वसनीयता को चुनौती मिलनी शुरू हो जाती है.
जब नेता पर लोगों का भरोसा दरकने लगता है अगर इन दरारों को भरा न जाए तो नेता का नेतृत्व चरमरा जाएगा.
कोविड महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के बाद प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पर जबरदस्त असर हुआ है.
COVID Effect : आजाद भारत पहली बार इतना बुरा मानवीय संकट झेल रहा है.
लोग जान गए हैं कि इस संकट के दौरान मोदी सरकार की बदइंतजामी का क्या आलम है.
महामारी के लिए न कोई योजना बनाई गई और न ही कोई तैयारी की गई.
जीवन रक्षक ऑक्सीजन की सप्लाई, वैक्सीन की खरीद, अस्पतालों में बेड्स की कोई तैयारी नहीं की गई.
आईसीयू की संख्या बढ़ाना और राज्य सरकारों के साथ तालमेल- ये सब कुछ नहीं किया गया.
हाल के राज्य विधानसभा चुनावों में प्रचार अभियानों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और
गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी ही सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया और खुद महामारी के ‘सुपरस्प्रेडर्स’ बने.
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आरएसएस और उसके परिवार के दूसरे संगठनों के किसी सीनियर नेता ने अब तक प्रधानमंत्री मोदी की सीधे-सीधे आलोचना नहीं की.
फिर भी आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के अपने हाल के भाषण में असहमति का संकेत दिया.
COVID Effect के मद्देनजर समाज में ‘पॉजिटिविटी’ बढ़े, इसके लिए आरएसएस से जुड़े एक प्लेटफॉर्म पर कुछ लेक्चर दिए गए .
आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सरकार और आम लोगों में महामारी की पहले लहर के बाद कुछ ‘आलस’ आ गया था.
मोदी अजेय लगते थे. जिसे कोई नहीं हरा सकता. लेकिन अब उस कवच में दरारें साफ दिख रही हैं.
भरभराती अर्थव्यवस्था के चलते आम लोगों की जिंदगी दूभर होगी, तब ये आलोचना तेज हो जाएंगी.