नई दिल्ली : Covid Vaccine : कोरोना वायरस के खिलाफ कौन सी वैक्सीन अधिक प्रभावी है?
किस वैक्सीन को लगवाने से कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म हो जाएगा?
कौन सी वैक्सीन का साइड इफेक्ट सबसे कम है ?
कौन सी वैक्सीन लगवाने से एंडीबॉडी तेजी से और अधिक बनने लगते हैं ?
कोरोना की दूसरी लहर के बीच वैक्सीन लगवाने से पहले लोगों के मन में इसी तरह के कई सवाल उठ रहे हैं.
ऐसे में हाल ही में आई एक स्टडी में कहा गया है कि ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की Covishild स्वदेशी कोवैक्सीन Covaxine की तुलना में अधिक एंडीबॉडीज बनाती है.
Covid Vaccine : वैक्सीन की पहली डोज के बाद हुई स्टडी
कोरोनावायरस वैक्सीन-इंड्यूस्ड एंडीबॉडी टाइट्रे (COVAT) की तरफ से की गई शुरुआती स्टडी के.
अनुसार वैक्सीन की पहली डोज ले चुके लोगों में कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले लोगों ने एंटीबॉडी अधिक बनती है.
इस स्टडी में 552 हेल्थकेयर वर्कर्स को शामिल किया गया था.
स्टडी में दावा किया गया कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में Seropositivity Rate से लेकर एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाने वाले लोगों की तुलना में काफी अधिक थे.
Covid Vaccine : दोनों वैक्सीन का अच्छा रेस्पॉन्स
स्टडी में कहा गया है कि एंडी कोरोनावायरस दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों का रेस्पॉन्स अच्छा है.
लेकिन सीरोपॉजिटिवी रेट और एंटी स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में अधिक है.
सर्वे में शामिल 456 हेल्थकेयर वर्कर्स को कोविशील्ड और 96 को कोवैक्सीन की पहली डोज दी गई थी.
पहली डोज के बाद ओवरऑल सीरोपॉजिटिविटी रेट 79.3% रहा.
दूसरे डोज के बाद इम्यून सिस्टम पर मिलेगी अधिक जानकारी
हालांकि, स्टडी के निष्कर्ष में कहा गया कि दोनों वैक्सीन लगवा चुके हेल्थकेयर वर्कर्स में इम्यून रिस्पॉन्स अच्छा था.
COVAT की चल रही स्टडी में दोनों वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद इम्यून रेस्पॉन्स के बारे में और बेहतर तरीके से रोशनी डाली जा सकेगी.
स्टडी में उन हेल्थ वर्कर्स को शामिल किया गया जिन्हें कोविशील्ड और कोवाक्सिन दोनों में से कोई भी वैक्सीन लगाई गई थी.
साथ ही इनमें से कुछ ऐसे थे जिन्हें सार्स-सीओवी-2 संक्रमण हो चुका था.
वहीं, कुछ ऐसे भी थे जो पहले इस वा
यरस के संपर्क में नहीं आए थे.
एंटीबॉडी क्या होती है?
एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है.
कोरोना वायरस का संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है.
जब कोई व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं।
ये वायरस से लड़ते हैं.
ठीक हुए 100 कोरोना मरीजों में से आमतौर पर 70-80 मरीजों में ही एंटीबॉडी बनते हैं.
अमूमन ठीक होने के दो हफ्ते के अंदर ही एंटीबॉडी बन जाता है.
कुछ मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद महीनों तक भी एंटीबॉडी नहीं बनता है.