नई दिल्ली: Jitin Prasada in BJP : जितिन प्रसाद Congress से भाजपा में शामिल होने से सियासी हंगामा मचा हुआ है.
वहीं, Jitin Prasada in BJP में शामिल होने की टाइमिंग से पार्टी में असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं.
सूत्रों के मुताबिक यूपी भाजपा किसी बाहरी को सीधे विधान परिषद की सीट देने से खुश नहीं हैं.
कहा जा रहा हैं कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले जितिन प्रसाद ऐसे समय में आए हैं,
जब यूपी विधान परिषद की चार सीटों के चुनाव होने वाला है. ये चुनाव 5 जुलाई को प्रस्तावित हैं.
भाजपा नेताओं की नाराजगी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है.
दरअसल जितिन प्रसाद कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे.
लेकिन साल 2014 से वह गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहे हैं.
जितिन न केवल अपनी पारंपरिक धौरहरा सीट से 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए.
ये चार सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में थीं.
लेकिन जितिन प्रसाद की भाजपा में शामिल होने की टाइमिंग से पार्टी में असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं.
अगर जितिन को यूपी विधान परिषद का टिकट मिला जाता है,
तो यूपी भाजपा के सीनियर लीडर के विधान परिषद में पहुंचने के अरमानों पर पानी फिर सकता है.
यूपी विधानसभा में भाजपा के संख्या बल को देखते हुए कहा जा सकता है कि इन्हें जीतने में भाजपा को खास दिक्कत नहीं होगी.
Jitin Prasada in BJP अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव में जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती है.
भाजपा में कुछ लोग योगी आदित्यनाथ सरकार में ठाकुरों का दबदबा होने का आरोप लगा रहे हैं.
भाजपा के केंद्रीय संगठन में जितिन प्रसाद को जगह मिलेगी या नहीं.
लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्हें राज्य भाजपा में कोई भूमिका निभाने का मौका मिलेगा.
पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी पूर्व आईएएस अफसर अरविंद कुमार शर्मा के बीजेपी में आते ही,
उन्हें विधान परिषद का टिकट मिला और वह जीत गए.
हालांकि तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कोई टिप्पणी नहीं की थी.
सूत्रों के मुताबिक यूपी भाजपा इकाई किसी बाहरी को सीधे विधान परिषद की सीट देने से खुश नहीं थे.
यूपी विधानसभा चुनावों 2017 में जितिन प्रसाद तिलहर सीट से बीजेपी के रोशन लाल वर्मा के हाथों हार गए,
जबकि कांग्रेस ने चुनाव से पहले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ समझौता किया था.