पटना: Chirag Paswan बागी हुए चाचा पशुपति पारस से मिलने गए, पारस से मुलाकात नहीं हो सकी.
चिराग अपनी मां को LJP अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव लेकर पारस से मिलने पहुंचे थे.
LJP के पांचों सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात कर,
उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में लिए फैसले की जानकारी दे दी है.
पशुपति कुमार पारस को सर्वसम्मति से पार्टी का नेता और संसदीय दल का अध्यक्ष चुन लिया गया है.
चौधरी महबूब अली कैसर को उपनेता चुना गया है.
दरअसल, रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति में जिस तरह की फूट हुई है.
यह कोई अचानक घटी घटना है ऐसा नहीं कहा जा सकता.
दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद से ही लोजपा में अंदरूनी लड़ाई दिखने लगी थी.
LJP कार्यकर्ता और नेता चिराग पासवान द्वारा लगातार नीतीश पर किए जा रहे हमले से भी खफ़ा थे.
पार्टी के विधायक तो पहले ही LJP का दामन छोड़ चुके थे,
अब 5 सांसदों ने चिराग पासवान को अध्यक्ष समेत सभी पदों से हटा दिया है.
रविवार देर शाम ही चली LJP सांसदों की बैठक में इस फैसले पर मुहर लग गई.
पांचों सांसद आज चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देने वाले हैं.
Chirag Paswan के चाचा और रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने सोमवार 14 जून को पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली है.
पार्टी के 5 सांसदों के बागी तेवर को देखते हुए चिराग पासवान ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात करते हुए मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कही है.
यानी लोक जनशक्ति पार्टी में रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की अहमियत अब नहीं रही.
बिहार के राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि जिस प्रकार उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित कर लिया.
उसी तरह पशुपति पारस अपना और चिराग पासवान का राजनीतिक भविष्य बचाए रखने के लिए,
जेडीयू में पार्टी का विलय कर सकते हैं.
क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी के जनाधार में तेजी से गिरावट आ रही है.
जेडीयू में लोजपा के विलय से नीतीश के पार्टी का वोट प्रतिशत में भी वृद्धि होगी
और 2020 विधानसभा चुनाव जैसे हालात उत्पन्न नहीं होंगे.