Body Odour क्या सबकुछ बता देती है शरीर की गंध
हमारी गंध (Scent) में बहुत सारी मनोवैज्ञानिक (Psychological) और जैविक जानकारी मौजूद रहती है, जिसका हम अनजाने में उपयोग भी करते हैं.
मारे शरीर की पांच इंद्रियों से अगर किसी इंद्री को सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जाता है
तो वह है हम इंसानों की घ्राण शक्ति यानि सूंघने की क्षमता.
अध्ययन में बताते हैं कि हमारे शरीर की गंध (Body Odour) हमारे स्वास्थ्य (Health) और खानपान (Diet) से लेकर काफी कुछ जानकारी देती है.
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बताया गया है कि व्यक्ति की गंध अलग अलग पहचानी जा सकती है
और उसका संबंध इंसान के जीन्स तक से होता है.
इतना ही नहीं यह गंध साथी, कॉस्मेटिक ,आदि का चुनाव करने में भी अहम भूमिका निभाती है.
कई लोगों की सोच के बावजूद, शरीर की गंध पसीने से नहीं आती है.
Body Order गंध वास्तव में बैक्टीरिया से होती है जो पसीने को एरोमेटिक फैटी एसिड्स में तोड़ देता है, और अप्रिय गंध के उत्पादन के कारण होता है.
पसीना आपके तापमान को विनियमित करने के लिए आपके शरीर का प्राकृतिक तरीका है.
यह जब वाष्प बनता है तो पसीना आपके शरीर से इसके साथ गर्मी भी लेता है, जो आपको शांत करने में मदद करता है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, आपके शरीर के चारों ओर 4 लाख पसीने की ग्रंथियाँ हैं, जो दो अलग अलग प्रकार से बनी हैं.
अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों का टेस्टोस्टेरोन स्तर उनकी गंध को बेहतर बना सकते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि जहां गंध में हमारे खानपान और स्वास्थ्य का असर होता है,
Body Odour को विशेष बनाने में हमारी अनुवांशिकी की भी भूमिका होती है.
ऑस्ट्रेलिया की मेक्वैरी यूनिवर्सिटी के ऑल्फैक्श और गंध मनोवैज्ञानिक मेमट मोमेट की अगुआई के अध्ययन में पाया गया है
कि इंसान की गंध उसके स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से बता सकती है.
मोमट का कहना है कि इससे यह भी पता चल सकता है कि व्यक्ति कौन कौन सी बीमारी से पीड़ित है.
जैसे हैजा की गंध मीठी होती है और बहुत अधिक डायबिटीज की गंध सड़े हुए सेब की तरह.
उनका मानना है कि यह हमारे भोजन तक के बारे जानकारी दे सकती है.
मोमट ने बताया कि कुछ अध्ययन ऐसे भी हैं जो उनकी अध्ययन से विरोधाभास रखते लगते हैं,
लेकिन उनके समूह ने यह पाया है कि इंसान जितना ज्यादा मांस खाता है
उसके शरीर की गंध उतनी ज्यादा अच्छी महसूस होती है.
इस अध्ययन में पाया गया है कि पुरुष को महिला के शरीर की गंध,
उसके मासिक चक्र के फोलीक्यूलर दौर के समय ज्यादा आकर्षक और अच्छी लगती है.
Body Odour की विशेषता और सूंघने की क्षमता की सटीकता मिलकर टी शर्ट पहने समूह की टीशर्ट से मेल खा सकती है.
शरीर की समान गंध के आधार पर अनजाने में ही कई लोगों मने अपनी जुड़वां टी शर्ट छांटी.
एक्क्राइन ग्लैंडस आपके सारे शरीर पर पाई जाती हैं.
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इनसे जो पसीना निकलता है वो आम तौर पर बिना गंध का होता है,
हालांकि यह अगर आप कुछ खा-पी रहे हैं तो एक बुरी गंध विकसित कर सकते हैं.
लहसुन, मसाले, शराब और कुछ दवायें शामिल हैं.
पोलैंड की व्रोक्लॉ यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञिक एग्नीज्का सोरोकोव्स्का बताती है कि गंध से जैनेटिक जानकारी तक उपलब्ध हो सकती है.
सोरोकोव्स्का और उनके सहयोगियों ने दर्शाया है कि किसी के व्यक्तित्व के बारे में उसकी खुशबुओं के चुनाव से पता लगाया जा सकता है.
हम कॉस्मेटिक्स का चुनाव भी अनुवांशिकी आधारित गंध की प्राथमिकता के आधार पर करते हैं.
एपोक्राइन ग्लैंडस ज्यादातर ऐसे कांख और जननांग क्षेत्र के रूप में शरीर के बालों वाले भागों में पाया जाता है.
वे आम तौर पर पुबेर्टी के आसपास दिखाई देते हैं और प्राकृतिक रसायन जिन्हें फेरोमोन कहते हैं, का स्त्राव करते हैं.
अपोक्राइन ग्लैंड्स से निकले पसीने में प्रोटीन अधिक होता है,
जो बैक्टीरिया के लिए भोजन का एक समृद्ध स्रोत बनता है.
तो जितनी अधिक सक्रिय अपोक्राइन ग्लैंड्स होंगी उतना अधिक तेजी से शरीर की गंध का विकास होगा.
अधिक वजन होने से या मधुमेह जैसे चिकित्सा हालत से भी शरीर की गंध खराब हो सकती है.
हालांकि अधिकांश समय, यह सिर्फ त्वचा पर बहुत ज्यादा बैक्टीरिया का एक संकेत है.
कई शोधों सहित एक अध्ययन में पाया गया है कि गंध ऐसे साथी का चुनाव करने में मदद कर सकती है,
जिसके साथ अच्छी सेहत वाले बच्चे होने की संभावना होती है.
इसका निर्धारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के खास किस्म के प्रोटीन से होता है जिन्हें एचएलए प्रोफाइल कहते हैं.
जेनेटिक नजरिए से असमान एचएलए प्रोफाइल की जोड़े को बच्चा होना फायदेमंद माना जाता है.
साथी का चुनाव करते समय महिलाएं खास तौर पर अवचैतन्य रूप से गंध का सहारा लेती हैं.
लेकिन यह नियमित रूप से नहीं होता है.