नई दिल्ली : India vs China : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के 245वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से फोन पर बात की और उन्हें बधाई दी.
उधर, मोदी ने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के (सीपीसी) के 100वें स्थापना दिवस पर कुछ भी नहीं कहा.
वह मौन रहे.
इतना ही नहीं इसके बाद तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर उन्हें फोन करके बधाई दी.
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर बताया कि उन्होंने दलाई लामा से फोन पर बात की.
यह पहला मौका है, जब मोदी ने दलाई लामा से संपर्क का खुला इजहार किया.
विशेषज्ञ इन तीनों घटनाओं को एक कड़ी में जोड़कर देखते हैं.
आखिर दलाई लामा और मोदी की वार्ता के क्या है सांकेतिक संदेश.
खासकर तब जब भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का टकराव बरकरार है.
आखिर क्या है इसके राजनीतिक निहितार्थ.
- प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर यह चीन को एक सांकेतिक संदेश है.
- खासकर 12वें राउंड की सैन्य वार्ता से पहले भारत के इस स्टैंड से चीन जरूर विचलित हुआ होगा.
- यह चीन के लिए भारत की ओर सख्त संदेश है.
- इसका एक अन्य निहितार्थ भी है कि दलाई लामा अपने उत्तराधिकार के लिए जो भी फैसला लेंगे.
- भारत उनके पीछे खड़ा रहेगा.
- प्रो. पंत का कहना है कि दूसरे भारत ने अपने दृष्टिकोण से यह साफ कर दिया कि वह सभी मुद्दों को नए सिरे से देखने की क्षमता रखता है.
- बता दें कि चीन तिब्बत को लेकर संवदेनशील रुख रखता है.
- ऐसे में भारत का तिब्बत पर यह स्टैंड उसको अखर सकता है.
- ऐसा करके भारत, चीन के साथ संबंधों में एक दबाव की रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है.
- प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम चीन और तिब्बत की राजनीतिक.
- रणनीतिक घटनाओं पर नजर रखने वालों को चकित करने वाला हो सकता है.
- प्रो पंत का मानना है कि भारत अब तिब्बत पर खुलकर खेलने को तैयार है.
- दलाई लामा ने पीएम मोदी से कहा कि जब से उन्होंने भारत में आश्रय लिया है.
- तब से यहां की आजादी और धार्मिक खुलेपन का भरपूर लाभ उठाया है..
- उन्होंने फोन पर मोदी से कहा कि आपको आश्वस्त करना चाहता हूं.
- कि मैं पूरी जिंदगी प्राचीन भारतीय ज्ञान को नई धार देने देने में खपा दूंगा.
- ऐसा करके मोदी ने यह संदेश दिया हैं कि भारत ने दलाई लामा के उत्तराधिकार को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है.
- उन्होंने संकेत दिया है कि यह तिब्बतियों का मामला है और किसी अन्य की इसमें कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
- चीन ने तिब्बत पर अपने हालिया श्वेत पत्र में कहा है.
- कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करेगा.
चीन को सख्त संदेश
उधर, तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख पेन्पा सेरिंग ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से मंगलवार को कहा था.
कि चीन की सरकार को यह मान लेना चाहिए कि दलाई लामा चीन-तिब्बत विवाद के समाधान के लिहाज से काफी अहम हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें बिना शर्त तिब्बत.
और चीन की धार्मिक यात्रा पर बुलाया जाना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक सीटीए के नए सिक्योंग हालिया हफ्तों में भारत सरकार के संपर्क में रहे हैं.