Chirag को HC से झटका, पारस को सदन का नेता बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

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दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष Chirag पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया,

जिसमें उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता मानने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कहा कि मामला लोकसभा अध्यक्ष के पास लंबित है,

लिहाजा मामले में आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि Chirag की याचिका का कोई आधार नहीं है.





7 जुलाई को दाखिल याचिका में चिराग पासवान ने पार्टी के संविधान का हवाला देते हुए बागी सांसदों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया.

साथ ही दावा किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के.

कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया था.

चिराग पासवान ने अपनी याचिका में कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं,

जिसमें से 66 सदस्य चिराग पासवान के साथ हैं,

ऐसे में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के दावे सही नहीं है.

याचिका में पशुपति पारस समेत पार्टी के 5 सांसद, संसद सचिवालय, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,

चुनाव आयोग और भारत सरकार को पार्टी बनाया गया था.

पार्टी का मामला पार्टी में सुलझाएं- कोर्ट

कोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली ने चिराग पासवन के वकील अरविंद वाजपेयी को कहा कि आपको पार्टी का मामला पार्टी में सुलझाना चाहिए.

कोर्ट ने वकील से पूछा कि आपकी पार्टी में कितने सांसद हैं?

इस पर वाजपेयी ने कहा, “पार्टी से कुल 6 सांसद जीते थे जिनमें से 5 सांसद छोड़कर जा चुके हैं.

मैं स्पीकर के आदेश तक ही सीमित हूं.

मैंने 2019 में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को यह दावा करते हुए लिखा है

कि चिराग पासवान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.”

उन्होंने चिराग पासवान की तरफ से आगे कहा, “मैं लोकसभा में पार्टी का नेता था.

जब मुझे पता चला तो मैंने लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में पशुपति कुमार पारस की मान्यता के खिलाफ स्पीकर को भी एक अभ्यावेदन दिया.

नेता को बिना किसी नोटिस के बदल दिया गया है.

और हाल ही में उन्हें मंत्री के रूप में चुना गया है.

मैंने उक्त आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की.”




Chirag : पारस को पार्टी का सदस्य माना जाएगा- ओम बिरला

कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष को पार्टी बनाने की जरूरत नही है.

उन्होंने कहा, “इस मामले में नोटिस जारी नहीं किया जाना चाहिए.

चिराग पासवान पार्टी की और से याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं?

अन्य उपाय भी हो सकते हैं. मैं यहां सलाह देने के लिए नहीं हूं.

याचिका संवैधानिक मुद्दों से अनभिज्ञ है.”

लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश वकील राजशेखर राव ने कोर्ट को बताया कि

उन्होंने कोर्ट के निर्देशानुसार अध्यक्ष (ओम बिरला) से बात की है, स्पीकर की तरफ से बताया गया

कि अगर कोई पार्टी से निकाल दिया जाता है और सदन या पार्टी में रहता है, तो वह उसी पार्टी का सदस्य माना जाता है.

इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि वो अपने मुवक्किल से 10 मिनट में निर्देश लेकर बताएं कि वो चिराग पासवान

की तरफ से उनके फैसले पर दोबारा विचार करने को लेकर दायर याचिका पर फैसला लेंगे या नहीं?

राजशेखर राव ने कोर्ट से कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है,

जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं.

इसके बाद चिराग पासवान के वकील ने स्पीकर की तरफ से इस बात का कोई विरोध नहीं किया.




Chirag : लोकसभा अध्यक्ष को चिराग ने लिखा था पत्र

एलजेपी के पास लोकसभा में चिराग पासवान सहित 6 सांसद हैं और राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है.

इसके पांच सांसदों ने पिछले महीने पासवान के स्थान पर पशुपति कुमार पारस को अपना अध्यक्ष चुन लिया था.

जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनके अनुरोध पर पारस को सदन में पार्टी नेता के रूप में मान्यता दी थी.

लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद चिराग पासवान ने उन्हें फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए पत्र लिखा था,

जिस पर अभी तक फैसला नहीं लिया गया है.

बुधवार को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पशुपति पारस को खाद्य संस्करण मंत्री बनाया गया.

केंद्र सरकार के इस फैसले पर चिराग पासवान ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा था,

“पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से

पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है

और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है.”

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