नई दिल्ली: Zika virus : अभी कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने की कोई सूरत नहीं नजर आ रही है
और इसके बीच ही जीका वायरस ने भी दस्तक दे दी है.
केरल में इस वायरस के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं.
जीका वायरस साल 2015 में सबसे पहले ब्राजील में फैला था.
अब भारत में भी इसके मरीज नजर आने लगे हैं.
दिन पर दिन बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
यहां तक कि इसे अब देश मे अगली महामारी के तौर पर भी देखा जाने लगा है.
जानिए इस बीमारी के बारे में सबकुछ.
क्या है जीका वायरस और कैसे फैलता है?
भारत में पहली बार जीका वायरस का मामला वर्ष 2016-17 में आया था,
जब गुजरात में इसके मामले मिले थे. जीका वायरस दरअसल मच्छर से फैलता है.
साल 1947 में यूगांडा के जीका जंगल में रहने वाले बंदरों में सबसे पहले ये वायरस पाया गया था.
मगर सन् 1952 में इसे औपचारिक रूप से एक खास वायरस माना गया.
ये वायरस मुख्यत: इनफेक्टेड एडीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है.
एडीज मच्छर से ही डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर भी फैलता है.
जीका वायरस गर्भवती महिला से उसके बच्चे में गर्भवास्था के दौरान फैल सकता है
और इसके कारण बच्चा अविकसित दिमाग के साथ पैदा हो सकता है.
ब्राजील में करीब 1600 बच्चे साल 2015 में कई विकारों के साथ पैदा हुए थे.
क्या हैं इसके लक्षण
एडीज मच्छर आम तौर से दिन के समय, खास कर सुबह और शाम में काटने के लिए जाना जाता है.
ब्राजील ने अक्टूबर 2015 में माइक्रोसेफली और जीका वायरस संक्रमण के बीच संबंध दर्ज की थी.
वर्तमान में 86 देश और क्षेत्रों ने मच्छर के फैलाव से जीका वायरस के सबूत बताए हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस बीमारी के प्रकोप अफ्रीका,
एशिया और अमेरिका में सामने आ चुके हैं.
जीका के लक्षण बुखार, स्किन पर चकत्ते और जोड़ में दर्द जैसे लक्षण बिल्कुल डेंगू की तरह होते हैं.
हालांकि जीका वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में लक्षण नहीं होता,
लेकिन उनमें से कुछ को बुखार, मांसपेशी और जोड़ का दर्द, सिर दर्द, बेचैनी, फुन्सी और कन्जंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है.
ये लक्षण आम तौर से 2-7 दिनों तक रहते हैं.
वर्तमान में जीका वायरस संक्रमण का इलाज या रोकथाम करने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है.
WHO ने कहा ग्लोबल इमरजेंसी
डब्लूएचओ ने वर्ष 2016 में जीका वायरस के संक्रमण को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी कहा था.
जीका वायरस के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण अभी भी जारी है.
वायरस के फैलाव को काबू करने का एक ही तरीका मच्छर के काटने को रोकना है.
दूसरे एहतियाती उपायों में उचित कपड़े पहनना शामिल है.
अंदर और बाहर मच्छर को काबू करने के लिए मच्छर को पानी के नजदीक अंडे देने से रोकना है.
ऐसे देश जहां पर गर्मी होती हैं, वो मच्छर के प्रजनन के लिए सही तापमान मुहैया कराते हैं.
मच्छर के काटने से बचने के लिए मच्छरदानी में सोने का विकल्प अपनाना चाहिए.
बच्चों को होती है ये खतरनाक बीमारी
सबसे ज्यादा चिंता इस बात को लेकर है कि इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ता है.
ऐसी स्थिति में कम विकसित मस्तिष्क वाले बच्चे पैदा होते हैं. इसे माइक्रोसेफली कहा जाता है.
जब बच्चे कम विकसित और असामान्य मस्तिष्क के साथ पैदा होते हैं, जो इसे माइक्रोसेफली कहा जाता है.
इस स्थिति में मस्तिष्क ठीक से विकसित नहीं होता. इसकी गंभीरता कम या ज्यादा हो सकती है.
अगर मस्तिष्क इतना विकसित नहीं है कि वो जीवन के जरूरी कामों को नियंत्रित कर सके,
तो ये काफी घातक हो सकता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) का कहना है
कि जीका वायरस खून में एक हफ्ते तक रहता है और ये यौन संबंध बनाने से भी फैलता है.
सीडीसी का ये भी कहना है कि अगर वायरस का संक्रमण खत्म होने के बाद गर्भधारण होता है,
तो बच्चे को संक्रमण नहीं होगा.