IOB और सेंट्रल बैंक का होगा प्राइवेटाइजेशन

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नई दिल्ली : IOB और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सरकार ने दो बड़े सरकारी बैंक के निजीकरण का रास्‍ता साफ कर दिया है.

अब इस दिशा में सरकार की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है.

अल्टरनेटिव मेकैनिज्म के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने एक बैठक की है.

इस मीटिंग में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी,

रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव और कोल मिनिस्‍टर शामिल थे.

इस ग्रुप पर ही बैंकों के निजीकरण को लेकर फैसला लेने की जिम्‍मेदारी है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले से बैंकों के ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा.

उनकी सर्विस पहले की तरह जारी रहेंगी

IOB और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जून माह में खबरें आई थीं कि सरकार ने दो बैंक के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता लगभग साफ कर दिया है.

कैबिनेट सचिव की अगुआई में हुई बैठक में इससे जुड़े तमाम नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी.

अब इसकी मंजूरी के लिए विनिवेश पर गठित मंत्रियों के समूह या वैकल्पिक मैकेनिज्म

या अल्टरनेटिव मेकैनिज्म के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के सामने पेश किया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021 के बजट भाषण में सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान किया था.

उन्‍होंने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2021-22 में,

दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव रखा था.

उन्होंने कहा था, ‘ आईडीबीआई बैंक के अलावा,

हम वर्ष 2021-22 में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखते हैं.’

इसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनट सचिव की अगुवाई में बने,

सचिवों के कोर ग्रुप को कुछ बैंकों के नाम प्राइवेटाइजेशन के लिए सुझाए.

सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था.

इस साल फरवरी में रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार ने 4 मिड साइज बैंकों,

को प्राइवेटाइजेशन के लिए शॉर्टलिस्ट किया है.

इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र , बैंक ऑफ इंडिया (BoI), इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम शामिल है.

इन चार बैंकों में से दो का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में होगा.

कमेटी ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया.

एएम की मंजूरी के बार इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले,

केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे.

बैंक यूनियन इन दोनों बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का विरोध कर रही है.

नौ बैंक यूनियनों के समूह यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने,

सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ 15 और 16 मार्च को राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल की घोषणा की थी.

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