Corona infection in Kerala बढ़ते मामलों के पीछे भी मिडिल ईस्ट है या कुछ और वजह है?
तिरुवनंतपुरम: Corona infection in Kerala चौथे दिन कोरोना के 20 हजार से अधिक मामले सामने आए और 116 रोगियों की मौत हुई.
राज्य में संक्रमण की दर 13.61 प्रतिशत है.
राज्य सरकार के एक बयान में कहा गया है कि संक्रमण के 20,772 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की कुल संख्या 33,70,137 हो गई है.
116 रोगियों की मौत के साथ ही मृतकों की तादाद 16,701 तक पहुंच गई है.
14,651 लोगों के संक्रमण से उबरने के बाद ठीक हो चुके लोगों की संख्या 31,92,104 हो गई.
उपचाराधीन रोगियों की संख्या 1,60,824 है.
बयान के मुताबिक, बीते 24 घंटे में 1,52,639 नमूनों की जांच की गई. संक्रमण दर 13.61 प्रतिशत है.
अब तक 2,70,49,431 नमूनों की जांच की जा चुकी है.
Corona infection in Kerala देश में दो राज्य ऐसे हैं जहां पर कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं पहला केरल है वहीं दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है.
इन दोनों राज्यों पर यदि गौर करें तो इनमें काफी कुछ समानता है.
इन दोनों ही जगहों से विदेश जाने वालों की अच्छी खासी संख्या होती है.
लेकिन वहीं यदि केरल की बात करें तो पता चलता है कि यहां के अधिकतर लोग कुछ खास क्षेत्र में नौकरी करने जाते हैं.
मध्य एशिया ऐसा ही एक क्षेत्र जहां पर केरल से अधिकतर लोग काम करते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मध्य एशिया में डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है.
इसकी वजह से यहां पर कोरोना महामारी की चौथी लहर की शुरुआत हो चुकी है.
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या केरल के बढ़ते मामलों के पीछे भी मिडिल ईस्ट है या कुछ और वजह है.
दिल्ली स्थित भगवान महावीर वर्धमान मेडिकल कॉलेज में कम्यूनिटी मेडिसिन के हैड डाक्टर जुगल किशोर का कहना है कि केरल में देश का पहला कोरोना मरीज सामने आया था जो वुहान से आया था.
यहां पर महामारी की प्रथम लहर के इसको रोकने की भी जबरदस्त कवायद शुरू की गई थी.
बढ़ते मामलों के चलते लगाए गए कड़े प्रतिबंधों का लोगों ने भी सख्ती से पालन किया.
इसके लिए वहां की सरकार की भी प्रशंसा की गई थी.
यहां पर कोरोना की रोकथाम को बनाए गए नियमों को जिस तरह से लागू किया गया,
उसकी बदौलत पहली लहर पर इस राज्य ने बखूबी काबू पाया था.
लेकिन दूसरी लहर में इसी राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े
इसकी एक बड़ी वजह विदेशों से अपने घर पर आने वाले लोग भी हो सकते हैं.
उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए सिरो सर्वे में ये बात सामने आई है.
यहां पर करीब 55-60 फीसद लोग संक्रमण के दायरे से अब भी बाहर हैं.
इस दौरान 40-45 फीसद लोग ही संक्रमित हुए.
गौरतलब है कि भारत में डेल्टा वैरिएंट दूसरी लहर फैलाने का सबसे बड़ा कारक बना था.
इस दौरान केरल में वो लोग इसके दायरे में आए जो पहली लहर के दौरान बच गए थे.
उनके मुताबिक इस संक्रमण का दायरा अभी और बढ़ेगा.
जब तक अधिकतर लोग इसके दायरे में नहीं आ जाते हैं तब तक ये दौर जारी रहेगा.
हालांकि इस संक्रमण को वैक्सीन के जरिए कम जरूर किया जा सकता है.