Raksha Bandhan 2021 : रक्षाबंधन के दिन है भद्रा, जाने कब बांधे भाई को राखी

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Raksha Bandhan 2021

लखनऊ : Raksha Bandhan 2021 : भाई बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है.

इसमें बहनें अपने भाईयों के कुशल मंगल के लिए रक्षा सूत्र (राखी)बांधती हैं

और भाई उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिज्ञा बद्ध होता है.

रक्षा बंधन पूरे देश में बड़े धूम -धाम और उल्लास से मनाया जाता है.

बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा बांधकर उनकी लंबी आयु, सफलता और समृद्धि की कामना करती है.

हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षा बंधन का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है.

साल 2021 में यह तिथि 22 अगस्त दिन रविवार को पड़ा रही है.

पर इस बार सावन पूर्णिमा 2021को भद्रा का साया होने से और दो दिन पूर्णिमा होने से लोग दुविधा में हैं.

किस दिन भाई बहन राखी का त्योहार मनाएंगे तो होगा शुभ.

किस दिन श्रावणी पर्व.

और सत्यनारण पूजन करना होगा शुभ। दरअसल सावन पूर्णिमा 2021 को लेकर कुछ उलझन की स्थिति बनी हुई है.

पंचांग की गणना से मालूम होता है कि इस साल सावन पूर्णिमा दो दिन है.

दरअसल 21 तारीख को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है.

21 अगस्त 2021 की शाम में 7 बजकर 1 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त हो रही है.

और पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है.

इसलिए शाम के समय पूर्णिमा तिथि होने से 21 तारीख को भी सावन पूर्णिमा से संबंधित कई शुभ कार्य करना उचित और शुभ होगा.

Raksha Bandhan 2021 : जबकि 22 अगस्त 2021 को सुबह से ही पूर्णिमा तिथि होने से उदया तिथि के नियम के अनुसार 22 अगस्त को ही पूर्णिमा तिथि का मान होगा..

और रक्षा वंधन का त्योहार 22 अगस्त को मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा लेकिन यहां एक और समस्या है.

वह है भद्रा दोष जिससे राखी बंधवाने का शुभ समय इस साल सुबह से नहीं है.

इस वर्ष 22 अगस्त को पूर्णिमा तिथि में ही सूर्योदय होगा.

और 22 अगस्त को पूर्णिमा तिथि शाम 5 बजकर 32 मिनट तक रहेगी.

लेकिन 22 अगस्त को शाम 4 बजे तक भद्रा का साया रहने की वजह से इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार दोपहर से यानी 2 बजे से मनाना अधिक उपयुक्त.

और लाभकारी होगा। 2 बजे से भद्रा पुच्छ यानी भद्रा का अंतिम चरण आरंभ हो जाएगा.

शास्त्रों के अनुसार भद्रा के अतिम चरण में भद्रा का प्रभाव कम हो जाता है.

जिससे इस समय रक्षा बंधन और होलिका दहन जैसे शुभ कार्य किया जाना शुभ होता है.

इससे भद्रा का अशुभ पभाव नहीं होता है.

जो लोग पूर्णिमा व्रत और पूजन के करते हैं तो 21 अगस्त को करना शास्त्र अनुकूल होगा.

क्योंकि इस दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि रहेगी। जबकि 22 अगस्त को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि नहीं है.

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