End the right to strike संसद के मानसून सत्र में न्यायाधिकरण सुधार विधेयक 2021 और आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को पारित कर दिया
नई दिल्ली : End the right to strike संसद के मानसून सत्र में न्यायाधिकरण सुधार विधेयक 2021
और आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को पारित कर दिया.
इस दौरान विपक्ष ने इस बिल का भारी विरोध किया.
हंगामे के चलते दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया है.
दरअसल संसद में विधेयक को बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.
End the right to strike विरोध जताते हुए विपक्ष ने कठोर बताया.
कहा कि यह कर्मचारियों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ विरोध करने से वंचित करेगा.
सदन में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने इसे पारित करने से पहले सभी कर्मचारी संघों को विश्वास में लिया था.
रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने ‘अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021’ को पेश किये जाने का विरोध करते हुए,
सदन में कहा कि इसमें कर्मचारियों की हड़ताल रोकने का प्रावधान है जो संविधान में मिला मौलिक अधिकार है।
एन के प्रेमचंद्रन ने सदन में आगे कहा कि यह विधेयक कामगार वर्ग के लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने वाला है.
सदन में व्यवस्था नहीं होने पर इस विधेयक को पेश नहीं कराया जाना चाहिए.
वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार आयुध कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना चाहती है.
चौधरी ने आगे कहा कि – “सदन नहीं चल रहा है तो इस तरह का विधेयक पारित नहीं होना चाहिए.
हम चाहते हैं कि पेगासस मामले पर चर्चा हो और फिर सभी मुद्दों पर चर्चा हो,
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने भी विधेयक का विरोध किया.
बता दें कि आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक का उद्देश्य सरकारी आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकना है.
देश भर में 41 आयुध कारखानों में लगभग 70,000 लोग काम करते हैं.
संसद ने आज दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक,
2021 को राज्यसभा से पारित होने के साथ ही मंजूरी दे दी.