नई दिल्ली : ब्रिटिश हाई कोर्ट ने सोमवार को Nirav Modi को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने मंजूरी दे दी.
यह फैसला नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर दिया गया है.
इसके साथ ही भगोड़े नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की कोशिशों को झटका लगा है.
पिछले महीने नीरव के वकील ने उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर की थी.
इसमें वकील ने तर्क दिया था कि अगर नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण किया जाता है.
तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है.
साथ ही उनमें सुसाइडल टेंडेंसी डेवलप हो सकती है.
हालांकि मामले में भारत का पक्ष रख रही इंग्लैंड की क्राउन.
प्रॉसीक्यूशन सर्विस ने नीरव मोदी की आशंकाओं को निराधार बताते हुए जज से अपील निरस्त करने की मांग की थी.
Nirav Modi के वकील ने दिया सुसाइडल टेंडेंसी का तर्क
मामले में मोदी के वकील एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने हाई कोर्ट में अपील की थी.
इसमें उन्होंने हवाला दिया था कि नीरव मोदी अवसाद के शिकार हैं.
उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर हाई कोर्ट से उसके भारत प्रत्यर्पण को रोकने की मांग की थी.
हाई कोर्ट को दिए गए प्रार्थना पत्र में मोदी के वकील ने लिखा है.
कि अगर उसे कोरोना प्रभावित मुंबई की आर्थर रोड जेल में भेजा जाता है.
तो उसके मन में आत्महत्या के विचार और प्रबल होंगे.
फिट्जगेराल्ड ने कहा कि 50 वर्षीय नीरव को इस तरह से भेजा जाना दमनकारी होगा.
फरवरी में ही हुआ था प्रत्यर्पण का आदेश
गौरतलब है कि कभी हॉलीवुड और बॉलीवुड सितारों को ज्वैलरी सप्लाई करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर भारत में धोखाधड़ी का केस चल रहा है.
उनके ऊपर पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हेराफेरी का आरोप है.
साथ ही भारत सरकार ने उस पर सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को बरगलाने का मुकदमा कर रखा है.
मार्च 2019 में लंदन में उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे वांड्सवर्थ जेल में रखा गया है.
फरवरी में सुनवाई के दौरान जज सैमुअल गूजी ने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था.