नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर Taliban के कब्जे के बाद भारत चौकन्ना है.
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के ताजा हालात पर चर्चा के लिए कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी की बैठक की.
इसमें पीएम के अलावा गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल हुए.
तालिबान भले ही कह चुका हो कि कश्मीर से उसका कोई लेना-लेना नहीं है,
यह भारत का आंतरिक मसला है लेकिन उसके अतीत को देखते हुए इस बयान पर भरोसा करना मुश्किल है.
पड़ोस में तेजी से बदले हालात के मद्देनजर उम्मीद है कि भारत कश्मीर में और चौकसी बढ़ाएगा.
शीर्ष सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा
और लश्कर-ए-झांगवी की थोड़ी बहुत मौजूदगी है.
उन्होंने तालिबान के साथ मिलकर काम भी किया है.
लेकिन इसके बावजूद ये पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन हालात का अपने हिसाब से इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं हैं.
Taliban: एक सूत्र ने बताया कि कश्मीर में भारत की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था है.
सूत्रों ने बताया कि इस बात की आशंका कम ही है कि तालिबान का फोकस कश्मीर पर होगा.
Taliban ने पहले ही कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट कर चुका है.
वह इसे द्विपक्षीय, आंतरिक मसला मानता है और इस बात के आशंका कम हैं.
कि वह कश्मीर पर फोकस करेगा.
अतीत में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के अफगानिस्तान में कैंप थे.
कांधार विमान अपहरण कांड भी तालिबान के राज में ही हुआ था.
बिना उनकी संलिप्तता के यह संभव भी नहीं था.
एक सूत्र ने एएनआई से कहा, ‘लश्कर-ए-तैयब.
और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की अफगानिस्तान में थोड़ी मौजूदगी है.
इन संगठनों ने कुछ गांवों और काबुल के कुछ हिस्सों में तालिबान के साथ अपने चेक पोस्ट भी बनाए हैं.