Skin to Skin मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला “अपमानजनक मिसाल” : अटार्नी जनरल

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Skin to Skin

नई दिल्ली: Skin to Skin मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विसेज कमेटी को आदेश दिया कि वो दोनों मामलों में बच्ची से छेड़छोड़ के आरोपियों की तरफ से पैरवी करे .

Skin to Skin मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि निर्णय ‘अभूतपूर्व’ है, 

‘एक खतरनाक मिसाल कायम करने की संभावना है.

सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी सिद्धार्थ दवे से इस केस में मदद करने को कहा है.

इस दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत में कहा कि

अगर कल कोई व्यक्ति सर्जिकल दस्ताने की एक जोड़ी पहनता है,

एक महिला के शरीर से छेड़छोड़ करता है,तो उसे इस फैसले के अनुसार यौन उत्पीड़न के लिए दंडित नहीं किया जाएगा.

बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला एक “अपमानजनक मिसाल” है .

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में शामिल दोनों मामलों के आरोपियों की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है .

जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि नोटिस भेजने के बावजूद आरोपियों ने पक्ष नहीं रखा,

इसलिए सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी उनकी पैरवी करे .

अब मामले की सुनवाई 14 सितंबर को होगी सुनवाई.

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसला पर 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी,

जिसमें कहा गया था कि बिना कपड़े उतारे बच्चे के स्तन टटोलने से

पोक्सो एक्ट की धारा 8 के अर्थ में यौन उत्पीड़न नहीं होता.

अदालत ने एजी को निर्णय को चुनौती देने के लिए उचित याचिका दायर करने का निर्देश दिया था.

अदालत ने आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी.

Skin to Skin मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के कृत्य से आईपीसी की धारा 354 के तहत ‘छेड़छाड़’ होगी.

ये पोक्सो अधिनियम की धारा 8 के तहत यौन शोषण नहीं होगा.

न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने सत्र न्यायालय के उस आदेश को संशोधित करते हुए यह अवलोकन किया,

जिसमें एक 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 साल की लड़की से छेड़छाड़ करने,

उसकी सलवार निकालने के लिए यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया था.

इसके अलावा पैरा संख्या 26 में,

एकल न्यायाधीश ने कहा है कि प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क यानी यौन प्रवेश के बिना त्वचा-से -त्वचा संपर्क यौन उत्पीड़न नहीं है.

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