Statue of Equality के उद्घाटन समारोह, PM को चिन्ना स्वामी ने किया आमंत्रित

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Statue of Equality

नई दिल्ली : Statue of Equality : PM को श्री Sri Ramanujacharya Swami की 1000वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘श्री रामानुज सहस्राब्दी’ उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है.

रामानुज संप्रदाय के मौजूदा आध्यात्मिक प्रमुख त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी ने शनिवार को पीएम मोदी से मुलाकात की

और उन्हें आमंत्रित किया. इस दौरान चिन्ना जीयर स्वामी के साथ माई होम ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामेश्वर राव भी मौजूद रहे.

श्री रामानुजाचार्य स्वामी को याद करने और सम्मान में बड़ा आयोजन होने जा रहा है.

श्री रामानुजाचार्य 11वीं सदी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक थे.

वह भक्ति आंदोलन के सबसे बड़े प्रेरक शक्ति और सभी मनुष्यों की समानता के सबसे पहले समर्थक थे.

Statue of Equality : 2 फरवरी से 14 फरवरी 2022 तक नियोजित समारोहों के बारे में जानकारी देने के लिए त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी ने पीएम मोदी से मुलाकात की.

इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू,

केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय पर्यटन

और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण प्रणाली,

पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे, गृह मंत्री अमित शाह,

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत और चीफ जस्टिस एन. वी रमणा से मुलाकात कर उन्हें आमंत्रित किया.

हैदराबाद के पास शमशाबाद में बने एक विशाल नए आश्रम में श्री रामानुजाचार्य स्वामी की प्रतिमा

के अभिषेक के साथ 1000वें वार्षिक समारोह की शुरुआत होगी.

स्वामी जी की 216 फीट की ऊंची प्रतिमा बनाई गई है, जो दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है.

रामानुजाचार्य के सभी भक्तों के अपने देवताओं की पूजा करने के अधिकारों की रक्षा करने के अथक प्रयास किए हैं.

उनकी मूर्ति को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी’ के रूप में नामित किया गया है.

Statue of Equality : 200 एकड़ से अधिक जमीन पर बनाई गई प्रतिमा

‘स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी’ हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद के मुचिन्तल में 200 एकड़ से अधिक भूमि पर बनाई गई है.

जनकल्याण के लिए सहस्रहुंदात्माक लक्ष्मी नारायण यज्ञ किया जाएगा.

मेगा इवेंट के लिए बनाए गए 1035 हवन कुंडों में लगभग दो लाख किलो गाय के घी का उपयोग किया जाएगा.

यह चिन्ना जीयर का सपना है कि “दिव्य साकेतम”, मुचिन्तल की विशाल स्पिरिचुअल

फैसिलिटी जल्द ही एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थान के रूप में उभरेगी.

मेगा प्रोजेक्ट पर 1000 करोड़ रुपए की लागत आई है.

प्रतिमा बनाने में 1800 टन से अधिक पंच लोहा का उपयोग किया गया है.

पार्क के चारों ओर 108 दिव्यदेशम या मंदिर बनाए गए हैं.

पत्थर के खंभों को राजस्थान में विशेष रूप से तराशा गया है.

जानिए कौन हैं रामानुजाचार्य स्वामी?

रामानुजाचार्य स्वामी का जन्म 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हुआ था.

उनके माता का नाम कांतिमती और पिता का नाम केशवचार्युलु था.

भक्तों का मानना है कि यह अवतार स्वयं भगवान आदिश ने लिया था.

उन्होंने कांची अद्वैत पंडितों के अधीन वेदांत में शिक्षा प्राप्त की.

उन्होंने विशिष्टाद्वैत विचारधारा की व्याख्या की और मंदिरों को धर्म का केंद्र बनाया.

रामानुज को यमुनाचार्य द्वारा वैष्णव दीक्षा में दीक्षित किया गया था.

उनके परदादा अलवंडारू श्रीरंगम वैष्णव मठ के पुजारी थे.

‘नांबी’ नारायण ने रामानुज को मंत्र दीक्षा का उपदेश दिया.

तिरुकोष्टियारु ने ‘द्वय मंत्र’ का महत्व समझाया और रामानुजम को मंत्र की गोपनीयता बकरार रखने के लिए कहा,

लेकिन रामानुज ने महसूस किया कि ‘मोक्ष’ को कुछ लोगों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए,

इसलिए वह पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से पवित्र मंत्र की घोषणा करने के लिए श्रीरंगम मंदिर गोपुरम पर चढ़ गए.

रामानुजाचार्य स्वामी यह साबित करने वाले पहले आचार्य थे कि सर्वशक्तिमान के सामने सभी समान हैं.

उन्होंने दलितों के साथ कुलीन वर्ग के समान व्यवहार किया.

उन्होंने छुआछूत और समाज में मौजूद अन्य बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेंका.

स्वामी जी ने सभी को भगवान की पूजा करने का समान विशेषाधिकार दिया.

उन्होंने तथाकथित अछूत लोगों को “थिरुकुलथार” कहा.

इसका अर्थ है “दिव्य जन्म” और उन्हें मंदिर के अंदर ले गए.

उन्होंने भक्ति आंदोलन का बीड़ा उठाया और दर्शन की वकालत की जिसने कई भक्ति आंदोलनों का आधार बनाया.

उन्होंने 120 वर्षों तक अथक परिश्रम करते हुए यह साबित किया

कि भगवान श्रीमन नारायण सभी आत्माओं के कर्म बंधन से परम मुक्तिदाता हैं.

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