नई दिल्ली : Chief Minister Bhupesh Baghel को उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने AICC के वरिष्ठ पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है.
यूपी में कांग्रेस का बघेल पर दांव कितना असरदार साबित होगा.
हालांकि, असम में भी पार्टी ने उन पर दांव लगाया था. पर तब वह बहुत असरदार साबित नहीं हुए थे.
असम विधानसभा चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी ने एक बड़ा एक्सीपेरिमेंट किया था.
यह उसके मिजाज से अलग था. यह प्रयोग बघेल के साथ किया गया था.
Chief Minister Bhupesh Baghel पार्टी का चुनाव प्रचार करने के लिए पूर्वोत्तर राज्य में भेजा गया था.
दशकों में पहली बार कांग्रेस ने किसी पार्टी शासित राज्य के सीएम को दूसरे राज्य में जाकर,
इस तरह पार्टी का प्रचार करने के लिए कहा था.
इस साल असम में 27 मार्च से 6 अप्रैल के बीच तीन चरणों में चुनाव हुए थे.
4 अप्रैल 2021 को चुनाव प्रचार खत्म होने तक बघेल ने 38 सभाओं को संबोधित किया था.
उन्होंने पार्टी के प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.राज्य के तकरीबन हर जिले में जनसभाएं कीं.
हालांकि, वो नतीजों पर कुछ असर नहीं डाल सके.
राज्य की 126 विधान सीटों के लिए मुख्य रूप से दो गठबंधनों में टक्कर थी.
भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाला महाजोत.
75 सीटों के साथ राज्य में जोरदार बहुमत से एनडीए ने वापसी की. हिमंता बिस्व सरमा मुख्यमंत्री बने.
असम के जिलों में बघेल सरीखे हिंदी भाषी नेता का सभाओं को संबोधित करना काफी चैलेंजिंग था.
Chief Minister Bhupesh Baghel ने वहां के लोगों से जुड़ने के लिए असमिया और अहोम में छोटे-छोटे वाक्यों का भरपूर इस्तेमाल किया.
असम में बघेल कांग्रेस की दाल नहीं गला पाए.
लेकिन, पार्टी ने उन पर अपना भरोसा कायम रखा है.
शायद यही वजह है कि यूपी जैसे बेहद अहम राज्य के लिए उन्हें पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाया है.
उनसे पार्टी करिश्मे की उम्मीद लगा रही है.बघेल हिंदी भाषी राज्य से आते हैं.
उन्हें जनसभाएं करने का लंबा अनुभव रहा है.वह लोगों को मोबलाइज कर सकते हैं.
यूपी के रण में कांग्रेस उनसे यही उम्मीद करेगी कि वह उसकी खोई जमीन वापस लौटाने में अपना किरदार निभाएं.