नई दिल्ली : Afghanistan और इसकी की जमीन का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी कृत्य को पनाह देने,
प्रशिक्षण देने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
अफगानिस्तान पर भारत सहित आठ देशों की क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन में बुधवार को यह ऐलान किया गया.
भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने बुधवार को तालिबान नियंत्रित
अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों के संभावित प्रसार पर चिंता जताई गई
और इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया.
अफगानिस्तान को लेकर भारत की मेजबानी में चल रही दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में,
NSA Ajit Doval ने कहा कि उस देश में हालिया घटनाओं
का न केवल अफगान लोगों पर बल्कि क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है
बैठक की अध्यक्षता करते हुए डोभाल ने कहा कि यह Afghanistan से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय देशों के बीच घनिष्ठ परामर्श,
अधिक सहयोग और समन्वय का समय है.
उन्होंने कहा, ”हम सभी उस देश के घटनाक्रम पर गहराई से नजर रख रहे हैं.
न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसियों और क्षेत्र के लिए भी इसके महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं.
क्षेत्रीय देशों के बीच घनिष्ठ परामर्श,
अधिक सहयोग और बातचीत और समन्वय का समय है.
”वार्ता का उद्देश्य काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद आतंकवाद, कट्टरता
और मादक पदार्थों की तस्करी के बढ़ते खतरों का सामना करने में व्यावहारिक सहयोग के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण को मजबूत करना है.
डोभाल ने कहा, ”मुझे विश्वास है कि हमारे विचार-विमर्श उपयोगी, लाभदायक होंगे
और अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने और हमारी सामूहिक सुरक्षा को बढ़ाने में योगदान देंगे.’
‘ ईरान ने 2018 और 2019 में इसी रूपरेखा के तहत वार्ता की मेजबानी की थी.
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, रियर एडमिरल अली शामखानी ने अपनी टिप्पणियों में अफगानिस्तान में आतंकवाद,
गरीबी और मानवीय संकट की चुनौतियों के बारे में बात की.
उन्होंने कहा, ”समाधान सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार के गठन के माध्यम से ही आता है.
” उन्होंने आशा व्यक्त की कि चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक तंत्र का तैयार किया जाएगा.
Afghanistan : ”भारत ने जो भूमिका निभाई है, मैं उसके लिये उसका शुक्रिया अदा करना और सराहना करना चाहता हूं, क्योंकि अफगानिस्तान में उनकी बड़ी भूमिका है.
”रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने अफगान मुद्दे पर मॉस्को प्रारूप
और तुर्क काउंसिल सहित विभिन्न संवाद तंत्रों का उल्लेख किया
और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें एक दूसरे की नकल नहीं करनी चाहिये बल्कि एक दूसरे का पूरक होना चाहिये.
पेत्रुशेव ने अफगान संकट से निकलने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए व्यावहारिक उपायों का भी आह्वान किया,
जिसमें कहा गया था कि संवाद के मास्को प्रारूप में अफगानिस्तान मुद्दे को सुलझाने के प्रयासों के समन्वय की महत्वपूर्ण क्षमता है.
उन्होंने कहा, ”मास्को में, हमने तालिबान के साथ बातचीत आगे बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी हितधारकों के प्रयासों
को व्यावहारिक रूप से समन्वयित करने के संबंध में अपने देशों की स्थिति निर्धारित करने के लिए एक अच्छी नींव रखी.’
‘उन्होंने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि आज हम राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और
क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए साझा उपायों पर विचार-विमर्श करने में एक और कदम आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे.”