Defence Minister Rajnath Singh गुरुवार को Leh-Ladakh के एक दिन के दौरे पर सुबह 8 बजे लेह पहुंचे.
सबसे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ईस्टर्न लद्दाख के रेजांग ला में वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया.
इसे अपग्रेड किया गया है और इसमें अब गलवान में शहीद हुए सैनिकों के नाम भी जोड़े गए हैं.
18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर 1962 में हुए युद्ध में करीब 120 भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना का बहादुरी से मुकाबला किया था.
इसके बाद उन्होंने लेह में सेना के टॉप ऑफिर्स के साथ मीटिंग की,
जिसमें सीडीएस बिपिन रावत के साथ वाइस चीफ इंडिया आर्मी भी मौजूद थे.
सबसे पहले रक्षा मंत्री को 15 तारीख को हुए ऑपरेशन Hercules के बारे में बताया गया और ये भी जानकारी दी गई
कि सेना और वायु सेना के कितनी और क्या-क्या स्टॉकिंग की गई है.
इसके अलावा सैनिकों के लिए कितने और कौन-कौन से जाड़ों के कपड़े लिए गए हैं, इस बारे में उन्हें बताया गया.
Defence Minister Rajnath Singh : दो डिवीजन सिर्फ लद्दाख में एलएसी पर होंगी तैनात
रक्षा मंत्री ने खुद इन्हीं कपड़ों को पहना भी, ताकि इसका एक मुआयना किया जा सके.
14वीं कोर में किए गए बदलाव की भी जानकारी उनको दो गई,
जिसमें लगभग तीन डिवीजन को जोड़ दिया गया है.
इसमें से दो डिवीजन सिर्फ लद्दाख में एलएसी पर तैनात होंगी
और इसमें स्ट्राइक कॉर्प्स के कई कंपोनेंट जैसे लाइट आर्टिलरी गन, ड्रोन, सर्विलांस, रडार, पैरा स्पेशल फोर्सेज को रखा गया है.
इसके अलवा एक डिवीजन सिर्फ लेह के दूसरे हिस्से करगिल, द्रास और सियाचिन को देखेगी.
ये वो इलाका है, जो पाकिस्तान के साथ लगता है यानी फोकस में पूरा एलएसी है.
रक्षा मंत्री ने बीआरओ की तरफ से लिए गए कामों का भी रिव्यू किया और
ये भी जानकारी ली की कौन-कौन से काम हैं, जिन्हें अगले साल तक पूरा कर लिया जाएगा.
रेजांग ला की लड़ाई 18 नवंबर, 1962 को सुबह चार बजे शुरू हुई
और रात करीब 10 बजे तक चली.
इसमें मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाउं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन की सी कंपनी ने बेहद कम संख्या में
होते हुए भी ना सिर्फ अपना मोर्चा संभाले रखा बल्कि चीनी सेना को भारी नुकसान भी पहुंचाया.
इसके लिए मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र दिया गया था