Omicron : दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन का पता लगने के बाद उस पर यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर दक्षिण अफ्रीका ने नाराजगी जताई है.
यात्रा प्रतिबंध सबसे पहले ब्रिटेन ने लगाए थे.
दक्षिण अफ्रीका में जीनोमिक निगरानी के लिए बना नेटवर्क महामारी शुरू होने के बाद से ही कारोना वायरस में होने वाले बदलावों की निगरानी कर रहा है.
वायरस के नए स्वरूप की पहचान बी.1.1.529 के तौर पर की गई और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे चिंता उत्पन्न करने वाला स्वरूप घोषित करने के साथ ओमीक्रोन नाम दिया है.
Omicron Omicron में अनुवांशिकी बदलाव की पहचान करने के आधार पर सैद्धांतिक रूप से चिंता जताई गई है
कि यह स्वरूप डेल्टा स्वरूप के मुकाबले तेजी से फैल सकता है
और पूर्व में हुए संक्रमण या टीके से उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति कम संवेदनशील है
भले ही एंटीबॉडी पूर्व के स्वरूप को अच्छी तरह से निष्क्रिय करते हों
वैक्सीन से पैदा हुई एंटीबॉडी की वायरस से लड़ने की क्षमता अलग-अलग है
और ओमीक्रोन के प्रति कौन सा टीका कितना असरदार है, इसका स्तर अलग-अलग हो सकता है
जैसा कि बीटा स्वरूप के साथ हुआ था. द कन्वर्सेशन पत्रिका में नए स्वरूप के मद्देनजर बताया गया है
कि हमें तत्काल क्या कदम उठाने चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
बहुत प्रतिबंध लगाना जरूरी नहीं!
Omicron : पहला, बिना सोचे समझे अधिक प्रतिबंध नहीं लगाए.
दक्षिण अफ्रीका में महामारी की गत तीन लहरों में प्रतिबंध संक्रमण को कम करने में असफल साबित हुए हैं.
खासतौर पर यह गौर करने के बाद की सीरो सर्वे
और मॉडलिंग डाटा के मुताबिक यहां की 60 से 80 प्रतिशत आबादी वायरस से संक्रमित हुई है.
बेहतर है कि आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले प्रतिबंध केवल उतने समय के लिए लगाए जाएं जब संक्रमण हो
और यह करीब दो से तीन सप्ताह की अवधि है.
दक्षिण अफ्रीका के संदर्भ में प्रतिबंधों का उच्च स्तर अव्यवहारिक है क्योंकि यहां कि अधिकतर आबादी आम तौर पर गरीब है.
यात्राओं पर रोक लगाना भी जरूरी नहीं!
घरेलू (या अंतरराष्ट्रीय) यात्रा पर रोक नहीं लगाई जाए क्योंकि इसके बावजूद वायरस फैलेगा जैसा कि पहले हुआ था.
यह मानना बचकाना होगा कि कुछ देशों द्वारा यात्रा प्रतिबंध लगाने से वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है.
वायरस का प्रसार पूरी दुनिया में होगा बशर्ते कि आप द्विपीय देश हो और आप ने पूरी दुनिया से संपर्क तोड़ दिया हो.
अव्यवहारिक नियम लागू न करें
ऐसे नियमों की घोषणा नहीं करें जो स्थानीय संदर्भ में लागू नहीं किए जा सकें,
और ऐसा नहीं दिखांए कि लोग उन्हें मानेंगे.
इनमें शराब की बिक्री शामिल है
क्योंकि पुलिस इसकी कालाबाजारी रोकने में असफल होगी.
इलाज और वैक्सीनेशन में बाधा न हो
अधिक खतरे वाले लोगों को बचाने के तरीके में देरी या बाधा उत्पन्न नहीं करें.
सरकारों द्वारा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को दो खुराक के बाद फाइजर टीके की तीसरी खुराक दी जानी चाहिए.
यह अन्य खतरे वाले समूह के लिए भी किया जाना चाहिए जैसे गुर्दे का प्रतिरोपण कराने वाले या
कैंसर से जूझ रहे या कम प्रतिरोधक क्षमता से गुजर रहे लोगों को.
Omicron : हर्ड इम्यूनिटी की फिलहाल न सोचें
सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता की चर्चा नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह अमल में नहीं आने वाला है
और टीके के प्रति लोगों के भरोसे को कमतर करता है.
पहली पीढ़ी के टीके कोविड-19 के गंभीर मामलों के लिए प्रभावी है
लेकिन हल्के लक्षण वालों की रक्षा में कम एंटीबॉडी के स्तर या वायरस के नए स्वरूप के मामले में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता.
टीकाकरण से संक्रमण दर काफी होगी जो मायने रखता है
लेकिन हमारे जीवनकाल में ‘सामुदायिक प्रतरोधक’ क्षमता प्राप्त करना शायद संभव नहीं है.
Omicron : ये 10 एहतियाती कदम उठाना है जरूरी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिलहाल हमें यह बात करनी चाहिए कि कैसे हम वायरस के साथ रह सकते हैं.
कन्वर्सेशन में ऐसे कार्यों की भी सूची दी गई है जिन्हें ओमीक्रोन स्वरूप के मद्देनजर किया जाना जरूरी है.
भले ही यह डेल्टा स्वरूप का स्थान लेता हो या नहीं.
आइए जानते हैं वे 10 एहतियाती कदम कौन से हैं
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- सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य सेवा इसके लिए तैयार हो और यह केवल कागज पर नहीं हो बल्कि वास्तव में कर्मचारी,
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था हो.
- वैक्सीन की एक खुराक लेने वाले सभी वयस्कों को बूस्टर खुराक मुहैया कराई जाए.
- इससे कोविड के गंभीर मामलों से बचाव होगा.
- जॉनसन एंड जॉनसन टीके की एक खुराक से दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा स्वरूप से संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में 62 प्रतिशत की कमी आई जबकि एस्ट्राजेनेका
- एमआरएनए की दो खुराक लेने वालों में सुरक्षा का स्तर 80 से 90 प्रतिशत तक रहा.
- बंद स्थान में आयोजित कार्यक्रमों या अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वालों के लिए टीका पासपोर्ट की व्यवस्था लागू
- जिनमें प्रार्थना स्थल और सार्वजनिक परिवहन शामिल हो.
टीकाकरण कराना या नहीं करना मौजूदा समय में वैकल्पिक है
- लेकिन इस विकल्प का दुष्प्रभाव पड़ता है.
- टीकाकरण नहीं कराने या एक खुराक लिए लोगों तक पहुंचने का निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए.
- ऐसे में शिविर का आयोजन करना जहां लोग टीका लगवा सके और लक्षित समूह तक पहुंचने का कार्यक्रम शामिल है.
- तत्काल 65 साल से अधिक उम्र के सबसे खतरे वाले लोगों
- और उन लोगों को जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है
- उनकी सुरक्षा के उपाय किए जाए.
- टीकाकरण का प्राथमिक उद्देश्य इसलिए गंभीर बीमारी
- और मौत के खतरे को कम करना होना चाहिए.
- इसके लिए लक्षित रणनीति बनार्ई जानी चाहिए कि किसे प्राथमिकता दी जाएगी.
- जिम्मेदारी वाले व्यवहार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि कुछ लोगों की गैरजिम्मेदारी की वजह से शराब
- और अन्य प्रतिबंध के रूप में सभी को सजा नहीं दी जाए.
- क्षेत्रीय स्तर पर अस्पतालों के बिस्तरों की निगरानी की जाए ताकि किसी एक केंद्र पर अधिक दबाव नहीं हो.
- स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव बढ़ने की आशंका होने पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है.
- वायरस के साथ रहने की कला सीखें और
- जीविकोपार्जन पर महामारी से पड़ने वाले प्रत्यक्ष
- अप्रत्यक्ष असर पर समग्र रुख अपनाएं.
- विज्ञान का अनुकरण करें, राजनीति लाभ के लिए इसे विकृत नहीं करें.
- पूर्व की गलतियों से सीखें और अगला कदम उठाने के लिए साहसिक रुख अपनाएं.