Kashi Vishwanath Corridor: प्रधानमंत्री मोदी के डी्म प्रोजेक्ट का हुआ भव्य लोकार्पण

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Kashi Vishwanath Corridor

नई दिल्ली: Kashi Vishwanath Corridor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर दिया है.

अब श्रद्धालु गंगा में स्नान कर और गंगाजल लेकर सीधे मंदिर में प्रवेश कर बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक कर सकेंगे.

Kashi Vishwanath Corridor में अब गंगा तट से लेकर मंदिर के गर्भगृह तक सभी मंदिर परिसर का हिस्सा होगा.

‘भव्य काशी, दिव्य काशी’ के तहत इस कॉरिडोर को 32 महीनों के अंदर विकसित किया गया है.

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वानाथ मंदिर के विस्तारीकरण और जीर्णोद्धार के लिए काशी विश्वानाथ कॉरिडोर का शिलान्यास 8 मार्च, 2019 को किया था.

इस कॉरिडोर के निर्माण कार्य पूरा करने में 2600 मजदूर और 300 इंजीनियरों ने लगातार तीन शिफ्टों में काम किया है.

इस प्रोजेक्ट की लागत 900 करोड़ रुपये है,5.25 लाख वर्ग फीट में बने काशी विश्वनाथ धाम यानी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में छोटी बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं.

Kashi Vishwanath Corridor कॉरिडोर लगभग 50 हजार वर्ग मीटर के व्यापक परिसर में फैला है.

कॉरिडोर को दो भागों में बांटा गया है. मंदिर के मुख्य परिसर को लाल बलुआ पत्थर द्वारा निर्मित किया गया है.

इसमें 4 बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है.

उस प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं, जिनपर काशी महिमा का वर्णन है.

22 शिलालेख ऐसे लगाए गए हैं, जिसमें भगवान विश्वनाथ से संबंधित स्तुतियां हैं.

मंदिर के द्वार की दूसरी तरफ 24 भवनों का एक बड़ा कैम्पस है,

जिसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट की तरफ है.

इस परिसर में 24 भवन बनाए गए हैं,

जिनमें मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, सिटी गैलरी, जलपान केंद्र, मल्टीपरपज हॉल, यात्री सुविधा केंद्र, इत्यादि शामिल हैं.

इस परिसर में वाराणसी गैलरी काफी महत्वपूर्ण है

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए तकरीबन 400 मकानों का अधिग्रहण किया गया है.

इस प्रक्रिया में 1400 लोगों को पुनर्वासित करना पड़ा है.

कॉरिडोर निर्माण में जिन 400 मकानों को अधिग्रहित किया गया है

उसमें प्रशासन के मुताबि काशी खण्डोक्त 27 मंदिर मिले थे

जबकि लगभग 127 अन्य मंदिर भी प्राप्त हुए थे जो प्रसिद्ध मंदिर थे.

उन मंदिरों का भी संरक्षण किया जा रहा है जो काशी खंडोकता मंदिर हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर सांस्कृतिक परंपराओं और उच्चतम आध्यात्मिक मूल्यों का जीवंत प्रतीक रहा है.

काशी विश्वनाथ मंदिर न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों के आकर्षिण का केंद्र रहा है.

यह धाम शांति और सद्भाव का प्रतीक रहा है.

महान संतों- आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गोस्वामी तुलसीदास,

महर्षि दयानंद सरस्वती, गुरुनानक देव और कई अन्य आध्यात्मिक महान संतों ने समय-समय पर इस मंदिर का दौरा किया है.

1669 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार कराया था.

उसके लगभग 352 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पुनरुद्धार का कार्य किया है.

मंदिर का वर्तमान आकार 1780 में अहिल्या बाई होल्कर द्वारा बनाया गया था.

1785 में गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के कहने पर तत्कालीन कलेक्टर मोहम्मद इब्राहीम खान द्वारा मंदिर के सामने एक नौबतखाना बनाया गया था.

इसके बाद 1839 में मंदिर के दो गुंबदों को पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह द्वारा दान किए गए

सोने से कवर किया गया था. तीसरा गुंबद अभी भी खुला है.

संस्कृति मंत्रालय और यू.पी. सरकार मंदिर के तीसरे गुंबद पर सोने की चादर चढ़ाने में गहरी दिलचस्पी ले रही है.

28 जनवरी, 1983 को मंदिर को यूपी सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया.

अब इसका प्रबंधन उत्तर प्रदेश और इसका प्रबंधन काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.

इसमें पूर्व काशी नरेश, और वाराणसी मंडल के आयुक्त भी शामिल हैं.

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