क्या सरकार फिर लाएगी कृषि कानून? हम एक कदम पीछे हटे हैं: Agriculture Minister Narendra Singh Tomar

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Narendra Singh Tomar

नागपुर: Narendra Singh Tomar केंद्रीय कृषि मंत्री ने महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम में कहा कि तीनों विवादित कृषि कानूनों को जिसे पिछले महीने केंद्र सरकार की ओर से लाखों किसानों द्वारा उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद वापस ले लिया गया, बाद में फिर से पेश किया जा सकता है.

इस कानून के खिलाफ सालभर किसानों ने प्रदर्शन किया था.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म किए जाने को लेकर “कुछ लोगों” को दोषी ठहराते रहे हैं,

Narendra Singh Tomar: विपक्ष सरकार पर लगातार आरोप लगा रही है कि यह फैसला कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए लिया गया है.

कृषि मंत्री तोमर ने कहा, “हम कृषि संशोधन कानून लेकर आए.

लेकिन कुछ लोगों को ये कानून पसंद नहीं आए,

जो आजादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बड़ा सुधार था.”

उन्होंने कहा, “लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हटे हैं और हम फिर आगे बढ़ेंगे,

क्योंकि किसान भारत की रीढ़ हैं. और जब रीढ़ मजबूत होगी तो देश भी मजबूत होगा.”

कृषि कानूनों को खत्म करने से दो दिन पहले, सरकार ने ‘Objects and Reasons’ पर एक नोट जारी किया.

कृषि मंत्री तोमर द्वारा हस्ताक्षरित और संसद सदस्यों को जारी किए गए नोट में,

किसानों के एक ग्रुप को “किसानों की स्थिति में सुधार के प्रयास …” के रास्ते में रोड़े बनाने के लिए दोषी ठहराया गया.

नोट में कहा कि सरकार ने “किसानों के महत्व को देखते हुए कृषि कानून बनाए गए.”

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव से ठीक तीन महीने पहले,

अप्रत्याशित घोषणा करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया.

विपक्ष का आरोप चुनाव को देखते हुए कृषि कानून वापस लिया.

पिछले महीने 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी और पंजाब में चुनाव से ठीक तीन महीने पहले तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था.

हालांकि अचानक सरकार के इस एलान के बाद विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे.

विपक्ष ने इस कदम को चुनाव में फायदा लेने के बताया.

भारतीय जनता पार्टी जो इस समय केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ है

और उसकी कोशिश पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से दूर करने की है.

इन राज्यों सत्तारुढ़ सरकारों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा.

माना जा रहा है कि किसानों की नाराजगी आगामी चुनाव में दिख सकती है.

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