Corbevax कोविड-19 टीके को मंजूरी मिलने के बाद वैक्सीन निर्माता कंपनी बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने कहा है कि वह मंजूरी के आधार पर बूस्टर डोज की स्टडी के लिए भी व्यवस्थित तरीके से डेटा तैयार कर रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है.
Corbevax वैक्सीन को केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मंगलवार को आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति दे दी.
यह भारत का स्वदेश में विकसित पहला प्रोटीन आधारित कोविड टीका है.
बायोलॉजिकल ई की अपने कोविड-19 टीके कॉर्बेवैक्स का उत्पादन 7.5 करोड़ डोज प्रति महीने की दर से करने की योजना है.
कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि फरवरी, 2022 से,
वह कॉर्बेवैक्स टीके की हर महीने 10 करोड़ से अधिक खुराकों का उत्पादन कर पाने की स्थिति में होगी.
ऐसा होने पर वह भारत सरकार को अपने वादे के अनुरूप 30 करोड़ डोज की आपूर्ति कर पाएगी.
वैक्सीन को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद जारी बयान में,
कंपनी ने कहा कि वह वैश्विक स्तर पर इस टीके की 1 अरब से अधिक खुराकों के उत्पादन की योजना बना रही है.
बायोलॉजिकल ई ने कहा, “हम महीने में 7.5 करोड़ डोज की रफ्तार से उत्पादन लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं.
फरवरी से हमारी उत्पादन दर 10 करोड़ डोज प्रति महीने हो जाने की उम्मीद है.
ऐसा होने पर हम भारत सरकार को वादे के अनुरूप 30 करोड़ डोज की आपूर्ति कर पाएंगे.”
Corbevax वैक्सीन का विकास बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने टेक्सास चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के टीका विकास केंद्र के साथ मिलकर किया है.
इसके अलावा टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित बेलॉर कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है.
कोविशील्ड की तुलना में अधिक प्रतिरोधक क्षमता- कंपनी
CDSCO ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविड-19 वैक्सीन ‘कोवोवैक्स’ को भी मंजूरी दी है.
इस मंजूरी के साथ, देश में आपात स्थिति में उपयोग होने वाले कोविड-19 रोधी टीकों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का ‘कोविशील्ड’, भारत बायोटेक का ‘कोवैक्सीन’,
जायडस कैडिला का ‘जायकोव-डी, रूस का ‘स्पुतनिक वी’ और अमेरिका का ‘मॉडर्ना’ एवं ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ वे अन्य छह टीके हैं,
जिन्हें पहले ही इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है.
कॉर्बेवैक्स अपने क्लीनिकल ट्रायल के दो दौर पूरा कर चुका है
जिसमें भारत के 33 स्थानों पर 18-80 साल की उम्र के 3,000 से अधिक लोग शामिल हुए.
कंपनी ने कहा कि इन ट्रायल में वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित पाया गया.
उसके मुताबिक, कॉर्बेवैक्स कोविशील्ड की तुलना में प्रतिरोधक क्षमता दिखाने में कहीं आगे रहा.