नई दिल्ली : Omicron and Third wave : हेल्थ एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि ओमीक्रोन वेरिएंट के चलते भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर आने वाली है.
ऐसे में, मेडिकल वर्कफोर्स हाई अलर्ट पर होनी चाहिए.
इसके उलट, राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे हैं.
कारण: नीट-पीजी 2021 काउंसिलिंग में हो रही देरी.
नारायण हेल्थ के चेयरमैन और कार्डियक सर्जन देवी शेट्टी का कहना है.
कि मेडिकल पोस्ट-ग्रैजुएट्स की कोविड केयर में अहम भूमिका है,
ऐसे में काउंसिलिंग में और देरी नहीं की जा सकती.
उन्होंने हमारे सहयोगी ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के लिए अपने लेख में कहा है.
कि ओमीक्रोन पूरी दुनिया में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमर तोड़ रहा है.
हमें आने वाली चुनौती की तैयारी करनी चाहिए,
न कि अपने डॉक्टर्स को हड़ताल करने पर मजबूर करना चाहिए.
Omicron and Third wave :ओमीक्रोन से लड़ाई में भारी पड़ सकती है ये कमजोरी
डॉ शेट्टी के अनुसार, ओमीक्रोन भले ही उतना घातक नहीं हो मगर अब तक का अनुभव बताता है.
कि यह हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमर तोड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस इतिहास में सबसे तेजी से फैल रहा वायरस है.
इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका, नीदरलैंड्स, डेनमार्क में हालात बेकाबू दिख रहे हैं.
वहां की नर्सेज और डॉक्टर्स थके हुए हैं.
डॉ शेट्टी चेताते हैं कि वैसे तो हम कोविड से लड़ाई के लिए काफी हद तक तैयार हैं.
मगर इकलौती कमजोरी है जूनियर डॉक्टर्स की कमी.
क्यों नए साल में होगी डॉक्टरों की कमी?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जैसे-जैसे काउंसिलिंग प्रक्रिया में देरी होगी,
वैसे-वैसे डॉक्टरों की कमी महसूस होने लगेगी.
मेडिकल कॉलेजों में फर्स्ट ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर अहम भूमिका निभाते हैं.
इस साल प्रवेश में देरी होने के कारण पीजी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स अब तक नहीं आए हैं,
जबकि थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स का भी अस्पताल से जाने का समय आ चुका है.
इसकी वजह से सेकेंड ईयर के रेजिडेंट डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है.
सरकारी अस्पतालों में मरीज-डॉक्टर अनुपात के खराब होने के कारण हालत वैसे भी गंभीर हैं.
ऐसे में फर्स्ट वर्ष के डॉक्टरों की अतिरिक्त कमी की वजह से दूसरे वर्ष के डॉक्टरों को हफ्ते में 100-100 घंटे काम करना पड़ेगा.
नीति-नियंताओं को एक्सपर्ट की सलाह
महामारीविदों का अनुमान है कि कोविड की तीसरी लहर जनवरी अंत या फरवरी की शुरुआत तक आ जाएगी.
डॉ शेट्टी भारत के मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर का ब्योरा देते हुए मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी से अपील करते हैं.
कि जल्द से जल्द काउंसिलिंग को हरी झंडी दी जाएगी ताकि अगले कुछ हफ्तों में कम से कम पहला बैच ड्यूटी पर आ जाए.
वह यह सुनिश्चित करने की गुजारिश करते हैं कि नए रेजिडेंट डॉक्टर्स को कम से कम एक महीने आईसीयू में जरूर
पोस्टेड रखा जाए ताकि वह प्रोटोकॉल्स और उपकरणों से वाकिफ हो सकें.