Goa Assembly Election:उत्पल पर्रिकर को आप का ऑफर,बीजेपी की टेंशन

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Goa Assembly Election

चुनाव डेस्क,लोक हस्तक्षेप

गोवा चुनाव (Goa Assembly Election) में भी कम से कम आठ सीटें ऐसी हैं जहां असंतोष और फूट के संकेत मिल रहे हैं.

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी का टेंशन लगातार बढ़ रहा है.

सवाल सिर्फ उत्तर प्रदेश में आउटगोइंग नेताओं का नहीं है,

हालांकि यह कहा जा सकता है कि चुनावों में तो यह सब होता ही रहता है.

यूपी में समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव की भी तो बीजेपी में इनकमिंग की खबरें हैं.

इसलिए फिलहाल हम गोवा का रुख करते हैं. गोवा में बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट 19 जनवरी को आ रही है.

शिवसेना ने भी 18-19 जनवरी को अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने की घोषणा की है.

Goa Assembly Election:देश के पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने बीजेपी के गोवा प्रभारी देवेंद्र फडणवीस को यह साफ बता दिया है कि अगर टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.

इस पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मौके पर चौका जड़ दिया

और उत्पल पर्रिकर को आप का ऑफर दे दिया.

इधर शिवसेना की ओर से गोवा में संभावनाओं की तलाश कर रहे सांसद संजय राउत को आप और टीएमसी का गोवा में सक्रिय होना शुरू से ही अखर रहा है.

आज (16 जनवरी, रविवार) संजय राउत ने पत्रकारों से बातचीत में बीजेपी से ज्यादा तो टीएमसी और आप को लेकर तंज कसे.

उन्होंने कहा, ‘ अपने मन के भीतर तृणमूल कांग्रेस गोवा में सत्ता में आ चुकी है.

वहां उनका अंदाज तो कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है.

उन्हें मन ही मन में खुश होने दीजिए.

आम आदमी पार्टी का हाल भी कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है.

उनको तो बस वहां शपथ ग्रहण करना बाकी रह गया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री गोवा में दर-दर जाकर प्रचार कर रहे हैं.

दिल्ली में कोरोना बढ़ रहा है और इधर गोवा में वे दर-दर का दौरा कर रहे हैं.

अरे, अपनी पार्टी का विचार दीजिए. यहां स्थानीय कार्यकर्ता हैं, नेता हैं, वे सब किसलिए हैं.

दिल्ली पार्लियामेंट तक कोरोना का कहर पहुंच गया. 400 से ज्यादा सदस्य कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.

दिल्ली में कोरोना छोड़कर यहां दर-दर जाकर प्रचार करते मैंने उन्हें खुद देखा. मैं वहीं था. अच्छी बात है. देखते हैं गोवा में क्या होता है.’

आगे संजय राउत ने कहा कि गिनती के 10-12 लोग गोवा में राजनीति कर रहे हैं.

वे कभी इस पार्टी में जाते हैं तो कभी उस पार्टी में. भू-माफियाओं और ड्रग्स तस्करों का वर्चस्व बढ़ गया है.

शिवसेना महाराष्ट्र में वो करना चाहती है जो बालासाहब ठाकरे ने महाराष्ट्र में किया.

हम यहां जन सामान्य से आए लोगों को विधायक और नेता बनाना चाहते हैं.

गोवा में दिवंगत मनोहर पर्रिकर ने बीजेपी को खड़ा किया है, बड़ा किया है.

उनके बेटे उत्पल पर्रिकर पणजी की सीट के टिकट पर दावा कर रहे हैं. बीजेपी की टेंशन की वजह अकेले उत्पल पर्रिकर नहीं हैं.

यहां आठ सीटें ऐसी हैं जहां बगावत के आसार हैं. ये आठ सीटें काणकोण, सावर्डे, प्रियोल, कुंभारजुवे, पणजी, मांद्रे, सांताक्रूज और सांगे हैं.

काणकोण में विधायक इजिदोर फर्णांडीस और

पूर्व मंत्री रमेश तवडकर के बीच टिकट को लेकर प्रतिस्पर्द्धा शुरू है.

सावर्डे सीट की बात करें तो पीडब्लूडी मिनिस्टर दीपक पाऊसकर का नाम ही चर्चा में था.

लेकिन इस विभाग में नौकरी भर्ती से जुड़ा 70 करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद पूर्व विधायक गणेश गावकर का नाम चर्चा में है.

इधर सांगे सीट पर सीएम बाबू कवलेकर अपनी पत्नी सावित्री कवलेकर को टिकट दिलाने के लिए पूरा दम लगा रहे हैं.

पर सवाल है कि पूर्व विधायक सुभाष फलदेसाई अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार हैं?

इसी तरह अपनी विधायकी छोड़ कर बीजेपी में आए गोविंद गावडे को

अगर टिकट मिल गया तो संदीप निगल्ये ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.

2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी ने पार्टी में बुलाकर कुंभारजुवे सीट से पांडुरंग मडकईकर को विधायक बनाया था.

लेकिन इस बार उन्हें टिकट मिलेगा कि नहीं, कहना मुश्किल है.

इसी तरह सिद्धेश नाइक और रोहन हरमलकर के बीच भी टिकट को लेकर रस्साकशी शुरू है.

सिद्धेश नाइक तो पार्टी के वफादार रहे हैं.

लेकिन अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो उनके आक्रामक कार्यकर्ता चुप रह जाएंगे? यह बड़ा सवाल है.

अगर बीजेपी के इंटरनल सर्वे के आधार पर सांताक्रूज सीट से टोनी फर्णांडीस की उम्मीदवारी नाकारी गई,

तो वे भी चुप रहने वाले नहीं हैं.

माइकल लोबो के विकल्प के रूप में बीजेपी में लिए गए गुरु शिरोडकर की बजाए

इस बार टिटोस के मालिक रिकार्डा डिसूजा को उम्मीदवारी देने की बात की जा रही है.

यहां भी शिरोडकर समर्थक भड़क सकते हैं.

फिलहाल गोवा वासियों को 14 फरवरी की वोटिंग और 10 मार्च की काउंटिंग का इंतजार है.

बाकी तो डेमोक्रेसी में चुनाव एक राजनीतिक त्योहार है. लेकिन कोरोना को कौन भगाएगा?

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