नई दिल्ली: Treatment of corona patients केंद्र सरकार ने सोमवार को कोविड-19 के इलाज को लेकर अपनी क्लिनिकल गाइडलाइंस में संशोधन (Covid-19 Treatment revised guidelines) किया है.
सबसे बड़ी बात है कि इन नई गाइडलाइंस में सरकार ने डॉक्टरों को कोविड मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने को कहा है.
Treatment of corona patients:सरकार का यह फैसला तब आया है, जब अभी कुछ दिनों पहले ही टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड्स दवाओं के ओवरयूज़ होने को लेकर अफसोस जताया था.
संशोधित दिशानिर्देश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान , भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ,
कोविड-19 राष्ट्रीय कार्यबल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संयुक्त निगरानी समूह ने जारी किए हैं.
संशोधित गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्टेरॉयड्स वाले ड्रग्स अगर जरूरत से पहले, या ज्यादा डोज़ में या फिर जरूरत से ज्यादा वक्त तक इस्तेमाल किए जाएं,
तो इनसे म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का डर बढ़ता है.
नई गाइडलाइन में कोरोना के- हल्के, मध्यम और गंभीर लक्षणों के लिए अलग-अलग दवाइयों की डोज़ की अनुशंसा की गई है.
यह भी कहा गया है कि अगर किसी को खांसी दो-तीन हफ्तों से ठीक नहीं हो रही है,
तो उसे टीबी या ऐसी ही किसी दूसरी बीमारी के लिए टेस्ट कराना चाहिए.
Treatment of corona patients:अलग-अलग लक्षणों के लिए क्या हैं दिशा-निर्देश:
ऊपरी श्वास नली में कोविड के लक्षण उत्पन्न होते हैं और मरीज को सांस लेने में दिक्कत या हाइपॉक्सिया जैसी दिक्कत नहीं है,
तो इसे हल्के लक्षणों में रखा जाता है और उसे होम आइसोलेशन में ही इलाज की सलाह दी गई है
. हल्के लक्षण वाले मरीजों को सलाह है कि अगर उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है,
या तेज बुखार या पांच दिनों से तेज खांसी है तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
वहीं, अगर किसी मरीज में ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से 93 परसेंट के बीच में फ्ल्क्चुएट कर रहा है
और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होना चाहिए.
ये मध्यम लक्षण हैं और ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना चाहिए.
अगर किसी मरीज में रेस्पिरेटरी रेट 30 प्रति मिनट से ऊपर है, सांस लेने में दिक्कत आ रही है
और ऑक्सीजन सैचुरेशन कमरे के तापमान से 90 फीसदी नीचे है तो इसे गंभीर लक्षण में रखा जाएगा
और मरीज को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत होगी.
जिनको ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होगी और सांस धीमी चल रही होगी,
उन्हें Non-invasive ventilation (NIV)- हेलमेट और फेस मास्क इंटरफेस जरूरत के हिसाब से लगाया जाएगा.
Treatment of corona patients:संशोधित दिशानिर्देशों में रोगियों में मामूली से लेकर गंभीर लक्षण होने पर रेमडेसिवर के आपातकालीन या ‘ऑफ लेबल’ उपयोग की अनुमति दी गयी है.
इसका उपयोग केवल उन्हीं रोगियों पर किया जा सकता है
जिनको कोई भी लक्षण होने के 10 दिन के भीतर ‘रेनल’ या ‘हेप्टिक डिस्फंक्शन’ की शिकायत न हुई हो.
सलाह दी गई है कि जो रोगी ऑक्सीजन कृत्रिम तरीके से नहीं ले रहे हैं या घर में हैं,
उन पर इस दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.