नई दिल्ली: जाटों (Jats) को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा एक नई रणनीति तैयार कर रही है.
भाजपा को पिछले तीन चुनावों में सत्ता में लाने में जाट वोट बैंक ने अहम भूमिका निभाई थी.
उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले एक रणनीति बनाने के लिए,
आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा से
उनके घर पर मुलाकात की.
Jats:पश्चिम दिल्ली से भाजपा सांसद वर्मा ने इसे एक बैठक के रूप में रखा था,जहां जाट समुदाय के नेता अपने मुद्दों को उठाने के लिए आए थे.
इस मीटिंग में करीब 200 जाट नेता शामिल हुए.
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी को भी सहमति की संभावना पर विचारक भेजे गए थे.
बीजेपी के ऑफर पर जयंत चौधरी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “न्योता मुझे नहीं, उन +700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए.”
न्योता मुझे नहीं, उन +700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!!
— Jayant Singh (@jayantrld) January 26, 2022
उनका इशारा किसान आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले 700 से ज्यादा किसानों की तरफ था.
Jats:विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक साल में जाट भाजपा के खिलाफ हो गए थे.
अब, पहले से कहीं अधिक, वे रालोद नेता चौधरी का समर्थन कर रहे हैं,
जिन्होंने राज्य में भाजपा के मुख्य चुनौती समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है.
परवेश वर्मा ने कहा, “जयंत चौधरी ने गलत रास्ता चुना है.
जाट समुदाय के लोग उनसे बात करेंगे और उनके लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं.”
#WATCH | “We wanted to welcome (RLD chief) Jayant Chaudhary in our home (BJP) but he has chosen the wrong path. People of Jat community will speak to him. Our door is always open for him,” says BJP MP Parvesh Verma after a meeting of HM Amit Shah with Jat leaders from UP pic.twitter.com/2g57XfVMVt
— ANI (@ANI) January 26, 2022
उन्होंने फिर से गठबंधन पर विचार करने के लिए जयंत के पार्टी पर भरोसा करने की उम्मीद जताई.
पिछले हफ्तों में, मेरठ बेल्ट में जाट कुछ सीटें समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को जाने से बेहद परेशान हैं.
गठबंधन के उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के बाद पिछले हफ्तों में सिवलखास, सरधना और हस्तिनापुर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं.
इसी तरह की परेशानी मुजफ्फरनगर में चल रही है,
जहां गठबंधन ने मुस्लिम वोट वैंक को बरकरार रखने के लिए मुसलमानों को मैदान में न उतारने का फैसला किया है.
इस क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी.
2017 में भाजपा ने मुजफ्फरनगर जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.
अब मुस्लिम इस बात से खफा हैं कि वे अपने समुदाय के एक भी नेता को अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए विधानसभा में नहीं भेज सकते.
आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े भाजपा नेताओं में से एक,
संजीव बाल्यान ने कहा कि जाटों को भाजपा के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके हवाले से कहा, “यह धारणा चुनाव से पहले बनाई गई है,
लेकिन चुनावों में जाट हमेशा बीजेपी को वोट देते हैं. जाटों ने हमेशा बीजेपी को वोट दिया है.
उन्होंने 2014, 2017 और 2019 में बीजेपी को वोट दिया.
मुझे उम्मीद है कि इस बार भी जाट भाजपा को वोट देंगे.
कोई नहीं चाहता कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनें.”