नई दिल्ली : Budget 2022 : मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चौथी बार बजट पेश करेगी.
एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट प्रस्ताव पेश किया जाएगा.
भारत में बजट का एक लंबा और गौरवशाली इतिहास रहा है.
ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री एवं नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष सात अप्रैल 1860 को भारत पहला बजट पेश किया था.
वहीं स्वतंत्रता के बाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर,1947 को पेश किया गया था.
उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था.
वर्तमान वित्त मंत्री सीता रमण निर्मला के नाम सबसे ज्यादा देर तक बजट भाषण देने का रिकॉर्ड है.
उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट लंबा भाषण दिया था.
इस दौरान उन्होंने जुलाई 2019 में बनाए गए अपने ही 2 घंटे एवं 17 मिनट लंबे भाषण के रिकॉर्ड को तोड़ा था.
वहीं अगर सबसे ज्यादा शब्दों के आधार पर देखे तों मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे.
उसके बाद दूसरा स्थान अरुण जेटली का है जिनके 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे.
Budget 2022 : सबसे छोटे भाषण वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था.
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम पर है
जिन्होंने 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किया.
इसके बाद पी चिदंबरम 9, प्रणव मुखर्जी 8, यशवंत सिन्हा 8 और मनमोहन सिंह 6 बार कर चुके हैं.
वर्ष 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था.
लेकिन यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था.
अरुण जेटली ने 2017 में बजट भाषण एक फरवरी को पेश किया था.
उसके बाद से बजट एक फरवरी को ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है.
1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था.
वहीं पहली महिला के तौर पर इंदिरा गांधी ने 1970 में वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया था.
वर्ष 2017 तक रेल बजट एवं आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे.
लेकिन 2017 में रेल बजट को आम बजट में ही समाहित कर दिया गया
और अब सिर्फ एक बजट ही पेश किया जाता है.
बजट का मुद्रण 1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था
लेकिन इसके लीक होने के बाद मुद्रण नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा.
फिर 1980 में वित्त मंत्रालय के भीतर ही सरकारी प्रेस में इसका मुद्रण होता है.