नई दिल्ली: Akhilesh Yadav : अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफ़ा दे दिया है.उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही यह सवाल बना हुआ था कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव Akhilesh Yadav करहल सीट से विधायक रहेंगे या आजमगढ़ से सांसद.
यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election Result) में वह करहल विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव जीते थे.
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव मंगलवार दोपहर लोकसभा पहुंचे, यहां उन्होंने स्पीकर ओम बिरला से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर साफ कर दिया है
कि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अखिलेश यादव करहल के विधायक बने रहेंगे.
अखिलेश यादव के अलावा आजम खान ने भी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
वह हालिया विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट से निर्वाचित हुए थे.
#WATCH | Delhi: Samajwadi Party (SP) chief Akhilesh Yadav going to Lok Sabha Speaker Om Birla’s office to resign from his membership of the House.
In the recently held Uttar Pradesh elections, he was elected as an MLA from the Karhal seat. pic.twitter.com/IBjc4jqr8t
— ANI (@ANI) March 22, 2022
ऐसे में उन्होंने अपनी विधायकी बनाए रखने का फैसला किया.
अखिलेश यादव और आजम खान द्वारा लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफे के बाद इन दोनों सीटों पर अब छह महीने के अंदर उपचुनाव कराए जाएंगे.
माना जा रहा है कि 2027 को ध्यान में रखकर समाजवादी पार्टी ने रणनीति में बदलाव किया है.
पार्टी के लिए केंद्र की राजनीति से अधिक यूपी में पकड़ मजबूत करना जरूरी है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2017 में सत्ता गंवाने के बाद 2019 में Akhilesh Yadav के लोकसभा चले जाने से वोटर्स के बीच गलत संदेश गया
वह विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तक यूपी की जमीनी राजनीति में कम सक्रिय रहे.
कई मौकों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे अधिक सक्रियता दिखाई और
अखिलेश ट्विटर तक सीमित रह गए. माना जा रहा है कि इस धारणा का चुनाव में सपा को नुकसान उठाना पड़ा.
समाजवादी पार्टी भले ही सत्ता से दूर रह गई हो,
लेकिन 2017 के मुकाबले पार्टी के वोट शेयर में बड़ा इजाफा हुआ है.
सीटें भी काफी बढ़ गई हैं. इससे पार्टी के उत्साह में इजाफा हुआ है.
चुनाव नतीजों को अखिलेश यादव ने भी इसी नजरिए से देखते हुए कहा था कि उनकी पार्टी की सीटें बढ़ी हैं
और भाजपा की सीटें घटी हैं.
अब देखना दिलचस्प होगा कि वह खुद नेता विपक्ष बनकर योगी को सीधी टक्कर देते हैं
या फिर किसी और को आगे करेंगे?
सूत्रों के मुताबिक, होली के अवसर पर जब पूरा मुलायम परिवार सैफई में एकत्रित हुआ
तो इस बात पर भी मंथन हुई कि अखिलेश यादव को विधानसभा की सदस्यता छोड़नी चाहिए या लोकसभा की.
बताया जा रहा है कि खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को विधानसभा में रहकर अगले चुनाव की तैयारी में अभी से जुट जाने की सलाह दी.
अखिलेश यादव सांसदी छोड़ने के फैसले से पहले सोमवार को आजमगढ़ पहुंचे थे,
जहां उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी.
यहां आजमगढ़ या करहल की सीट के छोड़ने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि यह पार्टी नेताओं के साथ बैठक करके तय किया जाएगा.
इस दौरान उन्होंने मीडिया से ही सवाल कर लिया था कि ‘आप बताइए मैं क्या करूं?’
उन्होंने कहा था कि नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी राय बता दी, अब आगे का फैसला पार्टी तय करेगी.