देहरादून:CM Pushkar Singh Dhami:पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने दिलाई.
CM Pushkar Singh Dhami:देहरादून के परेड ग्राउंड में बुधवार को हुए भव्य शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे.
कार्यक्रम में शिरकत करने वाले प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों में अमित शाह और नितिन गडकरी प्रमुख थे.
विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद भी पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के सीएम बनेंगे.
उनके शपथ ग्रहण समारोह में यूपी के ‘मनोनीत’ सीएम योगी आदित्यनाथ भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.
विधानसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी ने उत्तराखंड की 70 में से 47 सीट पर जीत हासिल की है
और दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आई.
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सवाल है कि चुनाव हारने के बाद कोई उम्मीदवार कैसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है क्या कहता है संविधान?
CM Pushkar Singh Dhami: हाल में हुए विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट (Khatima seat) से चुनाव हारने के बाद भी वो उत्तराखंड (Uttarakhand) के सीएम बन गए हैं.
आमतौर पर हारे हुए कैंडिडेट को पार्टी मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बनाती,
लेकिन उत्तराखंड में भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा सीएम बनने के लिए मंजूरी दे दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही उत्तराखंड की राजनीति में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar singh dhami) की चर्चा थी.
भारतीय संविधान के आर्टिकल 164(4) के मुताबिक,
किसी भी इंसान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन इसकी कुछ शर्त हैं.
जैसे- किसी शख्स को 6 माह तक के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
अगर उसे अपना कार्यकाल पूरा करना है तो शपथ लेने के 6 माह के अंदर राज्य की किसी न किसी विधानसभा सीट से जीत कर आना होगा.
आसान भाषा में समझें तो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 6 माह के अंदर होने वाले उपचुनाव में,
पुष्कर सिंह धामी को विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आना होगा.
अगर राज्य में विधान परिषद है तो वो MLC के रूप में भी चुना जा सकता है.
मुख्यमंत्री भी एक मंत्री होता है, इसलिए यही नियम उस पर भी लागू होता है.
6 माह के अंदर होने वाले उपचुनाव में पुष्कर सिंह धामी हार जाते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी होगी.
राजनीति के इतिहास में एक ऐसा मामला भी सामने आ चुका है.
बात 2009 की है, जब झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन तमाड़ सीट से उपचुनाव हार गए थे.
इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था और झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
धामी के साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली,
इसमें से पांच-सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, धन सिंह रावत,
रेखा आर्य व गणेश जोशी ने लगातार दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है.
चंदन राम दास, सौरभ बहुगुणा और प्रेम चंद्र अग्रवाल को पहली बार मंत्री बनाया गया है.
शपथ ग्रहण समारोह के पहले, पुष्कर धामी ने आज देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में पूजाअर्चना की.
सोमवार शाम पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सह पर्यवेक्षक मीनाक्षी लेखी की मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई.
बैठक में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar singh dhami) को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया.
इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में हारे में हुए उम्मीदवार को मुख्यमंत्री चुना गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभ सीट से चुनाव लड़ी थीं,
लेकिन वो भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई थीं.
इसके बावजूद उन्हें पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री चुना गया.
शपथ ग्रहण के 6 माह के अंदर हुए उपचुनाव में उन्होंने भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ा था,
जिसमें वो रिकॉर्ड वोटों से जीती थीं.