Kashi Vishwanath-Gyanvapi Mosque विवाद पर कोर्ट का बड़ा फैसला, नियुक्त किया कमिश्नर

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प्रयागराज : Kashi Vishwanath-Gyanvapi Mosque : वाराणसी कोर्ट ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला किया है.

नियुक्त कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा करेंगे, जिसकी वीडियोग्राफी की जाएगी.

इस दौरान सुरक्षाबल तैनात करने के आदेश भी दिए गए हैं.

बता दें, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामला चल रहा है.

दोनों ही पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कमिश्नर को नियुक्त करने के फैसला किया है.

हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे ज्योतिर्लिंग है.

यही नहीं ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी प्रदर्शित हैं.

दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था.

इसके बाद यहां मस्जिद बनवाई. प्रतिवादी पक्ष (ज्ञानवापी मस्जिद) अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी और

Kashi Vishwanath-Gyanvapi Mosque : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में दावा किया गया कि यहां विश्वनाथ मंदिर कभी था ही नहीं

और औरंगजेब बादशाह ने उसे कभी तोड़ा ही नहीं, जबकि मस्जिद अनंत काल से कायम है.

उन्होंने अपने परिवाद पत्र में यह भी माना कि कम से कम 1669 से यह ढांचा कायम चला आ रहा है.

इस मामले में साल 1991 में वाराणसी कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया गया था.

याचिका कि जरिए ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी गई,

लेकिन कुछ ही दिनों बाद मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर मौके पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया.

हालांकि, स्टे ऑर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और फैसले के बाद 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई.

अभी कई अदालतों में इस विवाद को लेकर कई केस दाखिल हैं, जिन पर सुनवाई चल रही है.

कोर्ट ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला किया है.

नियुक्त कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा करेंगे, जिसकी वीडियोग्राफी की जाएगी.

इस दौरान सुरक्षाबल तैनात करने के आदेश भी दिए गए हैं. याचिकाकर्ता ने परिसर के निरीक्षण, रडार अध्यन

और वीडियोग्राफी के लिए कोर्ट से आदेश मांगा था.

वाराणसी जिला कोर्ट ने सितंबर 2020 में दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है.

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