नई दिल्ली: Rohingya In Delhi :देश की राजधानी दिल्ली में अन्य राज्यों की तरह दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाका में भी सांप्रदायिक तनाव हुआ.
हनुमान जयंती की शोभा यात्रा निकाली जा रही थी. इसमें कुछ उपद्रवियों ने पत्थरबाजी कर दी. इलाके में तनाव बढ़ गया.
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 14 लोगों को गिरफ्तार किया है.
खैर,अब आप समझिए जहांगीरपुरी का भूगोल.ये इलाका कहां, कैसे और कौन लोग बसे हुए हैं.
सबसे पहले तो आपको ये बता दूं कि यहां पर रोहिंग्या मुसलमानों की अच्छी खासी संख्या है.
जो काफी सालों से यहां पर रह रहे हैं. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की अपनी अलग पहचान है.
आजादपुर मार्केट के पास बसा जहांगीरपुरी के भूगोल को समझना चाहिए.
कहा जाता है कि किसी भी इलाके में अगर कोई घटना घटती है तो उसके इतिहास और भूगोल को जानना चाहिए.
Rohingya In Delhi : रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है.
दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है.
उन्होंने लिखा है कि दिल्ली भाजपा का एक डेलिगेशन जहांगीरपुरी इलाके में जाएगा
और पथराव की घटना की जांच करेगा. मैं इसको लेकर स्वयं गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करूंगा.
मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को आप बिजली पानी मुहैया क्यों करा रहे हैं?
इसके जवाब में आप के विधायक नरेश बालियान ने लिखा, ‘दंगाई आदमी, ये बताओ की दिल्ली के अंदर बांग्लादेशी या रोहिंग्या आया कैसे?
पुलिस, सीबीआई सब तुम्हारे अंदर है, फ़िर ऐसे कैसे आया? कितने पैसे खाये तुमने? बाहर क्यों नही करते?
ये तो जवाब दो पहले.शर्म बचा है कुछ या नही?
और तुम जाँच करने नही बल्कि दंगा भड़काने जाओगे जहांगीरपुरी.
म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था.जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है.
दिल्ली में UNHCR के कार्यालय में सिर्फ़ 17 हज़ार 500 रोहिंग्या रजिस्टर्ड हैं.
द प्रिंट के अनुसार, रोहिंग्या शरणार्थियों की बसावट के मामले में दिल्ली मुख्य जगहों में से एक है.
यहां जसोला जैसी जगहों के अलावा यमुना नदी के किनारे मौजूद पांच बड़े अनौपचारिक शिविर भी हैं.
मदनपुर खादर यमुना नदी के पास है.दिल्ली के कई इलाकों में रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं.
साउथ दिल्ली में आने वाले मदनपुर खादर में भी रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती है.
यहां पर एक साल पहले भयंकर आग भी लगी थी,
जिसमें साजिश की बात कही जा रही थी मगर पुलिस ने बिजली के शॉर्ट सर्किट की बात कही थी.
इसको लेकर संघ की तरफ से आपत्ति जताई गई थी और कहा था कि इनको यहां से हटाना चाहिए.
दिल्ली के उत्तर नगर इलाके में भी कुछ ऐसा ही हाल है.
यहां पर एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या मुसलमान अपना धर्म तक बदलने लगे थे.
यहां भी एक बड़ी बस्ती है जो लगभग 30 सालों से यहां पर रह रहे थे.
थोड़ा सा आप जहांगीरपुर पुरी का भूगोल समझिए.जहांगीरपुरी दिल्ली के उत्तर पश्चिमी जिले में बसा हुआ है. जहां पर आजादपुर मंडी भी है.
आजादपुर मंडी का जिक्र इसलिए यहां पर किया जा रहा है क्योंकि ये काफी मशहूर और
एशिया की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी है. जहांगीरपुरी इलाका बेहद सघन और मिश्रित आबादी वाला है.
यहां हिंदू-मुस्लिम और कुछ पंजाबी और सिंधी समुदाय के लोग रहते हैं.
फल सब्जी का काम करने वाले लोगों की संख्या आपको खूब मिल जाएगी क्योंकि पास ही में आजादपुर मंडी है.
यहां पर लोग जो निम्न व निम्न मध्य वर्ग से आते हैं.
बीच-बीच में झुग्गी बस्तियां भी हैं और कई ब्लॉक में एरिया को बांट रखा है.हमने फोन कर कई लोगों से बातचीत की.
क्या है सी ब्लॉक और एच ब्लॉक का राज?
कई लोगों ने तो जहांगीरपुरी के भूगोल के बारे में पता न होकर पल्ला झाड़ लिया. मगर कुछ लोगों ने बताया.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि हनुमान जन्मोत्सव पर निकाली शोभा यात्रा के दौरान सी-ब्लॉक में जहां बलवा हुआ,
वहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं.इलाका पहले से ही संवदेनशील है.
उत्तर पश्चिमी संसदीय क्षेत्र और बादली विधान सभा का जहांगीरपुरी इलाका डीडीए ने विकसित किया है.
इलाके को ब्लॉक के हिसाब से बांटा गया है.इसका विस्तार जहांगीरपुरी ए ब्लॉक से जे ब्लॉक तक है.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सी-ब्लॉक और एच-टू झुग्गी में बांग्लादेशी आबादी सबसे अधिक है.
अब लोगों का ये सवाल हुआ कि आखिरकार दंगे की शुरुआत कहां से हुई.
हमने वहां के कुछ लोगों से बात करते ग्राउंड से इसको समझने का प्रयास किया. लोगों ने पहले हमने लोकेशन और वहां पर रहने वाले कम्यूनिटी के बारे में तफ्सील से बताया.
उनके मुताबिक बी ब्लॉक में मुस्लिम आबादी रहती है. बी के साथ सी ब्लॉक में भी मुस्लिम आबादी है.
वहीं, जी व एच ब्लॉक में हिंदू आबादी है.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बलवा सी ब्लॉक के मंगल बाजार से कुशल सिनेमा के बीच हुआ.
यहां की मुस्लिम आबादी ज्यादा है.
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि शाम करीब छह बजे शोभा यात्रा सी-ब्लॉक के कुशल सिनेमा से मंगल बाजार को जोड़ने वाली सड़क से गुजर रही थी.
इस बीच पथराव होने लगा. इसके बाद हालात बिगड़ गए.
दोनों तरफ से नारेबाजी होने लगी और हथियार भी लहराए गए.
घरों में सहम कर छिपे हुए थे लोग
यहां पर हालात ये हो गए कि लोगों ने अपने आपको घरों में कैद हो गए.
महिलाओं ने बताया कि देखते ही देखते नारे बाजी होने लगी और घरों पर पत्थरों की बारिश होने लगी.
हम लोग घरों के अंदर अपने बच्चों को बचाते हुए सहमे हुए बैठे थे.
कई बार तो ऐसा लगा कि वो दरवाजा ही तोड़कर घुस जाएंगे.
मगर थोड़ी ही देर बाद पुलिस आ गई और तब हम लोग चैन से बैठे.उपद्रवी तरह-तरह के नारे लगा रहे थे.
पुलिस पर भी उन लोगों ने पथराव कर दिया। कुछ पल को तो लगा कि क्या होने जा रहा है मगर, अब सब ठीक है।
रोहिंग्या मुसलमानों का मसला देश की सर्वोच्च अदालत के पास विचाराधीन है.लेकिन इनका इतिहास जानते हैं.
ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान इस वक्त जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रहते हैं.
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस समय यूएनएचसीआर के पास भारत में रह रहे 14,000 से अधिक रोहिंग्या के बारे में जानकारी मौजूद है.
हालांकि जो दूसरी सूचनाएं गृह मंत्रालय के पास मौजूद हैं, उनके मुताबिक लगभग 40 हजार रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं.
म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था.
जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है.
हालांकि, इस पूरे विवाद की जड़ करीब 100 साल पुरानी है,
लेकिन 2012 में म्यांमार के राखिन राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों ने इसमें हवा देने का काम किया.
दो दशक से भी ज्यादा का समय बीत गया और दिल्ली में ये मुद्दा हमेशा उठता रहता है.
दिल्ली में कई इलाकों में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बस्तियां बनी हुई हैं.
Rohingya In Delhi:साल 2019 में बीजेपी ने ये मुद्दा उठाया था कि केजरीवाल सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को राशन कार्ड मुहैया करा रही है. इनको अपना वोटबैंक बना रही है.
हमने दिल्ली के कुछ लोगों से बातचीत की और जाना कि क्या इनके पास राशनकार्ड है?
इसका जवाब हां में ही मिला. यहां पर कई रोहिंग्या परिवारों के पास राशनकार्ड मिले हुए हैं.
2021 में दिल्ली हाईकोर्ट एक याचिका की सुनवाई कर रहा था.
जिसमें दिल्ली सरकार ने जवाब दिया था कि सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों के खाने पीने का इंतजाम कर रही है.