नई दिल्ली : सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा है कि जजों की नियुक्ति के लिए कोई टाइमलाइन होनी चाहिए.
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नेशनल ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी को लेकर कुछ मुख्यमंत्रियों का कहना है
कि निचली अदालतों के संबंध में यह कदम उठाने के लिए राज्य स्तर पर निकाय और समितियां बनाई जाएं.
इस पर सभी सहमत हुए हैं.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन के बाद शनिवार शाम को कानून मंत्री किरेन रिजिजू और चीफ जस्टिस एनवी रमना ने संयुक्त तौर पर प्रेस कान्फ्रेंस की.
सरकार और न्यायपालिका के प्रमुख भी इस आम सहमति से खुश और संतुष्ट रहे.
सरकार और न्यायपालिका के प्रमुख भी इस आम सहमति से खुश और संतुष्ट रहे.
चीफ जस्टिस (CJI NV Ramana) ने कहा, संसाधनों की कमी न्याय में बड़ी बाधा है, संसाधनों की कमी न्याय में बड़ी बाधा है.
राज्य स्तर पर स्टेट ज्यूडि़शियल अथॉरिटी बनाने पर सहमति बन गई है.
चीफ जस्टिस ने कहा, कई प्रस्ताव पास हुए हैं. कई तो चीफ जस्टिस कॉन्फ्रेंस में पास हुए प्रस्ताव ही पास हुए हैं.
कुछ में बदलाव भी है.
जैसे नेशनल ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी बनाने के लिए केंद्र राज्य की भूमिका पर विस्तृत चर्चा के बाद उसे संशोधित रूप से मंजूरी मिल गई.
अधिकतर राज्यों ने राज्य स्तरीय ऑथोरिटी बनाने पर सहमति जताई.
जजों की नियुक्ति पर जिला कोर्ट में नियुक्तियों के बारे में भी बातें हुईं.
न्यायिक अधिकारियों के लिए तय पद बढ़ाए जाएं.
समयबद्ध तरीके से फैसले आएं. निपटारा हो मुकदमों का.
रिटायर्ड न्यायिक अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद के लाभ समय से और बाधारहित तरीके से मिलें.
सीजेआई रमना ने कहा, अदालत परिसरों की सुरक्षा को लेकर भी मुख्य मंत्रियों के साथ चर्चा भी हुई है.
क्षेत्रीय भाषाओं में अदालतों की कार्यवाही के सिलसिले में कुछ हाईकोर्ट में हिंदी का लागू किया गया है.
हालांकि इसमें कुछ बाधाएं हैं. ट्रांसलेशन की बाधाएं हैं. AI की मदद ली जा सकती है.