नई दिल्ली : Social media influencer : सेल्स प्रमोशन के लिए किए जाने वाले व्यवसाय से होने वाले लाभ पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के नियम 1 जुलाई से बदलने जा रहे हैं,
और अब ये नियम सोशल मीडिया इन्फ्लुएन्सरों और
डॉक्टरों पर भी लागू होंगे.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इन नए प्रावधानों के लागू होने को लेकर दिशानिर्देश, यानी गाइडलाइन जारी कर दी हैं.
केंद्रीय बजट में इस प्रकार की आय पर यह प्रावधान लगाया गया था,
ताकि कर राजस्व की लीकेज पर रोक लगाई जा सके, और इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट,
1961 में एक नई धारा 194 आर जोड़ी गई थी.
इसके तहत ऐसे किसी भी शख्स पर 10 प्रतिशत TDS का प्रावधान रखा गया था,
जो किसी भी नागरिक को सालाना 20,000 रुपये से ज़्यादा का लाभ पहुंचाता है.
Social media influencer : लाभ के तहत क्या-क्या आता है…?
वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव कमलेश सी. वार्ष्णेय ने इन लाभों की व्याख्या करते हुए बताया
कि इसमें डॉक्टरों को मुफ्त मिलने वाले दवाओं के सैम्पल या किसी व्यवसाय के दौरान मिलने वाली मुफ्त विदेश यात्रा टिकट
और मुफ्त मिलने वाली इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टिकट भी शामिल होंगी.
कमलेश वार्ष्णेय के अनुसार, इन सभी का ज़िक्र इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हुए करना होगा,
और इस तथ्य के अंतर्गत इन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकेगा कि इन्हें बेचा नहीं गया है.
धारा 194 आर उन विक्रेताओं पर भी लागू होगा, जो छूट के अलावा भी लाभ दे रहे हैं
भले ही वह नकद रूप में न हो, जैसे – कार, TV, कम्प्यूटर, सोने के सिक्के या मोबाइल फोन.
कोई डॉक्टर अस्पताल में कार्यरत हो तो…?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों द्वारा दवाओं के मुफ्त सैम्पल हासिल करने के मामलों में धारा 194 आर तब लागू होगा,
जब वे मुफ्त मिलने वाले सैम्पलों को अस्पताल से वितरित करेंगे.
नियोक्ता के रूप में अस्पताल उन सैम्पलों को करयोग्य सुविधा (अनुलाभ) मानेंगे तथा धारा 192 के तहत कर की कटौती करेंगे.
इस तरह के मामलों में 20,000 रुपये की सीमा को अस्पताल के लिहाज़ से देखा जाएगा.
जो डॉक्टर किसी अस्पताल के साथ सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं,
और मुफ्त सैम्पल हासिल कर रहे हैं, TDS आदर्श रूप से पहले अस्पताल पर लागू किया जाएगा,
और फिर उन्हें धारा 194 आर के तहत सलाहकार डॉक्टर से टैक्स की कटौती करनी होगी.
क्या छूट दी जा रही है…?
CBDT के अनुसार, धारा 194 आर उस समय लागू नहीं होगी, यदि अनुलाभ / सुविधा किसी सरकारी अस्पताल जैसे सरकारी संस्थान को प्रदान की गई हो,
जो व्यापार या पेशे के रूप में व्यवसाय न करता हो.
ग्राहक को किसी तरह की बिक्री में छूट, नकद छूट या अन्य तरह की छूट दिए जाने पर छूट दी गई है,
और इन्हें धारा 194 आर के दायरे से बाहर रखा गा है,
क्योंकि इन्हें शामिल करने से विक्रेता के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
इसके अलावा, यदि मोबाइल फोन जैसे लाभ सेवाओं के लिए इस्तेमाल के बाद (सोशल मीडिया इन्फ्लुएन्सरों के मामलों में) निर्माता कंपनी को लौटा दिए जाते हैं,
तो इन्हें भी नए प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा जाएगा.