नई दिल्ली : Sri Lanka Crisis : केंद्र सरकार ने श्रीलंका संकट पर मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर वहां की स्थिति के बारे में जानकारी देंगे.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी दी.
संसद के मॉनसून सत्र से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान तमिलनाडु के दलों द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भारत से पड़ोसी देश के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की,
जो एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.
रविवार की बैठक के दौरान, द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों ने श्रीलंका और
खासकर उस देश में तमिल आबादी की स्थिति से संबंधित मुद्दे को उठाया.
Sri Lanka Crisis : मॉनसून सत्र से पहले बैठक के बाद द्रमुक नेता एम थंबीदुरई ने संवाददाताओं से कहा कि भारत को श्रीलंका संकट के समाधान के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.
द्रमुक नेता टी आर बालू ने भी श्रीलंका की मौजूदा स्थिति के समाधान में भारत के हस्तक्षेप की मांग की.
बता दें कि श्रीलंका में जारी विरोध आंदोलन का रविवार को 100 दिन पूरा हो गया.
उग्र आंदोलन के कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा.
अब आर्थिक संकट के बीच देश की जनता नई सरकार की गठन का इंतजार कर रही है.
Sri Lanka Crisis : राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पिछले सप्ताह के अंत में प्रदर्शनकारियों के आक्रमण से कुछ ही समय पहले अपने आवास से भाग गए थे.
वहीं, गुरुवार को उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
मालूम हो कि गोटबाया के कुप्रबंधन को श्रीलंका की वित्तीय उथल-पुथल के लिए दोषी ठहराया जाता है,
जिसने पिछले साल के अंत से देश के 22 मिलियन लोगों को भोजन, ईंधन
और दवाओं की कमी को झेलने के लिए मजबूर किया है.
मुख्य रूप से फेसबुक, ट्विटर और टिकटॉक पर पोस्ट के माध्यम से आयोजित राजपक्षे को बाहर करने के अभियान ने श्रीलंका के अक्सर अटूट जातीय विभाजन के लोगों को आकर्षित किया.
धीरे-धीरे आंदोलन ने उग्र रूप लिया,
जिसके परिणाम स्वरूप सालों से सत्ता में रहे एक परिवार के सदस्यों को सत्ता से दूर जाना पड़ा.