Yogi Adityanath government में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर लड़ाई तेज

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CM Yogi Adityanath

लखनऊ:Yogi Adityanath government में विभागीय तबादलों में किसके पास पावर है, चाहें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक हों या पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद

या फिर जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक, सबके दुख या नाराजगी के जड़ में ट्रांसफर ही है.

Yogi Adityanath government में दिनेश खटीक ने तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कथित तौर पर अपना इस्तीफा सीएम, राज्यपाल के साथ-साथ गृहमंत्री अमित शाह को भी भेज दिया है.

खटीक के इस्तीफे की वायरल चिट्ठी ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं.

जितिन प्रसाद ने भी नाराजगी हैं और कहा जा रहा है कि वो अमित शाह से मिलने दिल्ली जा रहे हैं.

दरअसल 30 जून को स्वास्थ्य विभाग में तबादलों को लेकर भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हैदराबाद बैठक से लौटे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने 4 जुलाई को तबादलों को लेकर

कड़ी नाराजगी जताते हुए स्थानांतरण नीति का पालन न होने की बात कही थी.

उन्होंने अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से पूरी तबादला सूची विवरण सहित तलब की है.

उधर, अपर मुख्य सचिव ने तबादलों को सही ठहराया था.

उसके बाद सीएमओ ने रिपोर्ट मांग ली है.

इसमें गड़बड़ियां सामने आईं जिस पर सीएम योगी ने जांच रिपोर्ट की समीक्षा करने की टीम बनाई

और टीम से समीक्षा रिपोर्ट देने को कहा.

Yogi Adityanath government: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के मंत्रालय जलशक्ति विभाग के जूनियर यानी राज्यमंत्री दिनेश खटीक की बात करें तो वह भी नाराज हैं.

उनका कहना है कि ट्रांसफर को लेकर उनकी कोई बात सुनी नहीं जाती है.

दिनेश खटीक अगर कोई सूचना मांगते हैं तो उस पर अधिकारी उनका फोन भी काट देते हैं.

अमित शाह को लिखी गई वायरल चिट्ठी में दिनेश खटीक ने तो यहां तक कह डाला कि तबादलों में बड़ा भ्रष्टाचार है.

अगर तबादले की रिपोर्ट या सूचना अधिकारियों से मांगी जाती है तो वह देने से मना कर देते हैं.

मंगलवार शाम से ही उनके इस्तीफे की चर्चा तेज है.

उनकी अमित शाह को लिखी गई एक चिट्ठी भी वायरल भी हो रही है.ये सारे आरोप उसी चिट्ठी में लगाए हैं.

पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद की नाराजगी के पीछे भी ट्रांसफर ही वजह है.

बाकी मंत्रियों से अलग उनका दुख है कि उनके विभाग के ट्रांसफर पर सीएम दफ्तर का एक्शन हो गया,

तीन आईएएस की जांच कमिटी बैठ गई.

जांच कमिटी ने तबादलों में धांधली पकड़ ली और उसकी सिफारिश से जितिन प्रसाद का ओएसडी निपट गया,

कई अधिकारियों और इंजीनियर सस्पेंड हो गए.

सियासी गलियारों में चर्चा है कि जितिन प्रसाद ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले पर बात भी की थी.

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