President Ramnath Kovind : कच्चे घर से कैसे रायसीना हिल्स तक पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद

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President Ramnath Kovind

President Ramnath Kovind : देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल खत्म होने की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया.

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश का नेतृत्व करना उनके लिए सौभाग्य की बात थी. इस देश में तिलक, गोखले,

भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू,

सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक महान विभूतियां हुई हैं.

ऐसी सभी विभूतियों का एक ही लक्ष्य एक ही लक्ष्य मानवता के प्रति तत्पर रहना रहा है.

ऐसी चीज मानवता के इतिहास में इससे पहले कहीं भी नहीं देखी गई है.

उन्होंने कहा कि उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में गुलामी के खिलाफ अनेक विद्रोह हुए.

देशवासियों में नई आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए.

अब उनकी वीर-गाथाओं को बहुत आदर के साथ याद किया जा रहा है.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आज से पांच साल पहले आप सबने मुझ पर भरोसा जताया था और

अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था.

मैं आप सभी देशवासियों के प्रति और आपके जनप्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं.

President Ramnath Kovind  : कच्चे घर से रायसीना हिल्स तक के सफर का किया जिक्र

उन्होंने अपने गांव का जिक्र करते हुए कहा कि अपने छोटे से गांव में साधारण बालक के नजरिए से वो देश को समझने की कोशिश कर रहे थे

और उस समय देश को आजाद हुए महज कुछ साल ही हुए थे.

कच्चे घर में गुजर बसर करने वाले मेरे जैसे साधारण बालक के लिए हमारे गणतंत्र के बारे में कोई जानकारी होना या कोई जानकारी रखना कल्पना से परे था.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि इसमें हर नागरिक के लिए रास्ते खुले हैं

जिससे हर कोई इस देश के निर्माण में भागीदार बन सकता है.

कानपुर के अपने शिक्षकों का भी किया जिक्र

अपने गृह जनपद कानपुर देहात का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा

कि परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा रामनाथ कोविंद आज सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है

इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं.

रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना

और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेंगे.

उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है.

मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव, नगर और अपने विद्यालयों

और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को हमेशा आगे बढ़ाते रहें.

संविधान सभा में शामिल महिला नेताओं को भी किया याद

राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता,

दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर और सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं.

संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान हमेशा से हमारा प्रकाश स्तंभ रहा है.

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और

सेवा भावना से न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था.

हमें केवल उनके पदचिन्हों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है.

21वीं सदी के भारत को दी ये शुभकामनाएं

21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है.

अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है.

मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं.

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