नई दिल्ली:विजयादशमी (Vijayadashmi) के पारंपरिक संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है.
अगर इस पर जरूरी कदम न उठाए गए तो देश ‘धर्म आधारित असंतुलन’ और ‘जबरन धर्मांतरण’ जैसे मामलों पर बंटेगा.
उन्होंने कोसोवो और दक्षिण सूडान का हवाला दिया, जो आबादी में धर्मों के बीच असंतुलन के कारण उभरे हैं.
भागवत ने अपने लंबे-चौड़े भाषण में देश-समाज की एकजुटता का मंत्र दिया तो मुस्लिम समुदाय को गलतियों के खिलाफ मुखर होने की सीख भी दी.
उन्होंने कहा कि हिंदू समाज कभी यह देखकर चुप नहीं बैठता है कि गलत करने वाला हिंदू है.
इसी तरह दूसरे समाजों को भी गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.
उन्होंने पैगंबर विवाद में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा की गई निर्मम हत्याों का जिक्र किया
और कहा कि कई प्रमुख मुस्लिम हस्तियों ने इसका खुलकर विरोध किया जो अच्छी बात है.
यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा.
जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है.
हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है
इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने.
Vijayadashmi पर भागवत ने चीन की एक परिवार एक संतान की नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां हम जनसंख्या पर नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हो रहा है.
उस देश ने एक परिवार, एक संतान नीति अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत में 57 करोड़ युवा आबादी के साथ यह राष्ट्र अगले 30 वर्षों तक युवा बना रहेगा.
भागवत ने कहा कि दो प्रकार की बाधाएं सनातन धर्म के समक्ष रुकावट बन रही हैं
जो भारत की एकता एवं प्रगति के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतों द्वारा सृजित की गई हैं.
सरसंघचालक ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां
और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है.
भागवत ने कहा कि सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाली नीतियों का अनुसरण शासन द्वारा हो रहा है
तथा विश्व के राष्ट्रों में अब भारत का महत्व और विश्वसनीयता बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा के क्षेत्र में हम अधिकाधिक स्वावलंबी होते जा रहे हैं.
आरएसएस के विजयादशमी उत्सव में इस वर्ष प्रसिद्ध पर्वतारोही संतोष यादव मुख्य अतिथि थीं.
संघ प्रमुख ने कहा कि संघ के कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी रही है.
भागवत बोले- शक्ति शांति का आधार है.
हमें उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है.
कोविड के बाद हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है.
दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की है कि ये और अच्छा करेगी.